Shakti Bill

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    मुंबई: महिलाओं पर होने वाले अत्याचार को रोकने के लिए आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) के ‘दिशा’ कानून की ही तरह महाराष्ट्र में ‘शक्ति’  कानून (Shakti Bill) लागू होने का रास्ता साफ हो गया है। महाविकास आघाड़ी सरकार (Maha Vikas Aghadi Govt.) की तरफ से पेश ‘शक्ति” विधेयक को विधानसभा ने गुरुवार को सर्वसम्मति से मंजूरी दे दी है। गृहमंत्री दिलीप वलसे पाटिल की तरफ से पेश किये गए विधेयक का समर्थन विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस सहित अन्य विपक्षी विधायकों ने भी किया। फडणवीस ने कानून का क्रियान्वयन सही ढंग से किये जाने पर बल दिया।

     राज्य के वर्धा जिले के हिंगणघाट में एक महिला पर एसिड अटैक की घटना के बाद राज्य सरकार ने आंध्र प्रदेश के ‘दिशा’ कानून की तरह ही नया कानून बनाने का निर्णय लिया था। इसको लेकर तत्कालीन गृहमंत्री अनिल देशमुख और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने कानून की जानकारी लेने आंध्र प्रदेश का दौरा भी किया था। कानून के मसौदे पर चर्चा चल ही रही थी कि इस बीच मुंबई के साकीनाका में भी विभत्स बलात्कार की घटना हुई। जिसके बाद  राज्य सरकार ने संशोधित शक्ति अधिनियम को लागू करने का फैसला किया।  

    विधान परिषद में अनुमोदन के लिए पेश जाएगा

     विधान सभा में शक्ति विधेयक पारित होने के बाद अब इसे विधान परिषद में अनुमोदन के लिए पेश जाएगा। विधान परिषद की मंजूरी के बाद इसे राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। वहां से मंजूरी मिलने के बाद संबंधित विधेयक को कानून में तब्दील किया जाएगा और उस कानून को राज्य में लागू किया जाएगा। 

     शक्ति अधिनियम में  महत्वपूर्ण प्रावधान 

    • महिलाओं पर अत्याचार के मामले में आरोपी को सजा दिलाने के लिए 21 दिन के अंदर आरोप पत्र दाखिल किया जाएगा ।
    • महिलाओं पर एसिड अटैक एवं बलात्कार जैसे अपराधों को गैर जमानती बनाया जाएगा। साथ ही यदि महिलाओं को ई-मेल, इलेक्ट्रॉनिक या टेक्स्ट संदेशों के माध्यम से परेशान किया जाता है, और यदि उन पर गलत तरीके से टिप्पणी की जाती है, तो उन्हें भी कड़ी से कड़ी सजा दी जाएगी।
    • डिजिटल मैसेज के जरिए परेशान करने पर दो साल कैद की सजा सहित  दंड का प्रावधान शामिल है।
    • सामूहिक बलात्कार या बलात्कार के दुर्लभ मामलों में मृत्युदंड का प्रावधान है। बलात्कार के मामलों को आजीवन कारावास या आजीवन कारावास के रूप में वर्गीकृत किया जाता है
    • 16 साल से कम उम्र की बच्ची से सामूहिक दुष्कर्म करने पर 10 लाख रुपये का जुर्माना या आजीवन कारावास की सजा।