नागपुर. विधानसभा शीत सत्र के दौरान दशकों से विभिन्न संगठन मोर्चे निकालकर अपनी परेशानियों और मांगों के लिए सरकार का ध्यानाकर्षित करते आ रहे हैं. एक समय था जब मंत्री खुद मोर्चा स्थल पर जाकर संगठनों का निवेदन स्वीकार करते थे लेकिन पिछले 7 वर्षों से यह प्रथा ही बंद हो गई. अब मोर्चे तो निकलते हैं लेकिन केवल संगठनों का शिष्टमंडल ही मंत्रियों से मिल पाता है. कुछ संगठनों की इक्का-दुक्का मांगें पूरी भी हो जाती है लेकिन समय के साथ अब यह केवल औपचारिकता लगने लगी है. इस वर्ष भी शीत सत्र के दौरान 100 संगठनों ने मोर्चे निकाले.
आश्वासन का लड्डू देकर सरकार ने उन्हें लौटा दिया. लोगों को आज भी लगता है कि मोर्चा निकालने से सरकार उनकी मांगों पर विचार करेगी. यही कारण है कि शीत सत्र के आखरी दिन भी 2 संगठनों ने मोर्चे निकाले. अधिकांश को केवल आश्वासन ही मिला. उनकी झोली में कुछ नहीं आया. इसके अलावा धरना आंदोलन करने वालों की संख्या भी कम नहीं थी. मंत्री और नेता एक-दूसरे पर कीचड़ उछालने में व्यस्त थे. 113 संगठनों ने यशवंत स्टेडियम परिसर में धरना दिया. उन्हें भी केवल आश्वासन ही मिला.
बहुजन मुक्ति आंदोलन राष्ट्रीय संगठन
संपूर्ण महाराष्ट्र को टोल मुक्त करने, स्वतंत्र विदर्भ राज्य की स्थापना, कपास को 12,000 रुपये और तुअर को 10,000 रुपये प्रति क्विंटल भाव देने, महापुरुषों की बदनामी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई, सुशिक्षित बेरोजगारों को प्रति माह 5,000 रुपये महंगाई भत्ता और प्रदूषण फैलाने वाले कारखानों पर सख्त कार्रवाई करने की मांग को लेकर बहुजन मुक्ति आंदोलन राष्ट्रीय संघटन, जनकल्याण सामाजिक संगठना और जनकल्याण समाजोन्नती अनन्याय, भ्रष्टाचार निवारण समिति के संयुक्त तत्वावधान में मोर्चा निकाला गया. मोर्चे का नेतृत्व सुरेश डोंगरे, डी. वी. गवई, भगवान चांदेकर, महेंद्र सातपुते और पंकज गायकवाड़ ने किया. शिष्टमंडल ने स्वास्थ्य मंत्री तानाजी सावंत से मिलकर निवेदन पत्र सौंपा. सावंत ने सभी मांगों पर सकारात्मक निर्णय लेने का आश्वासन दिया.
महादुला संघर्ष समिति
महादुला परिसर के नागरिकों को पीने का शुद्ध पानी, प्रतिदिन 1 घंटा जलापूर्ति होने के बावजूद विभाग द्वारा भेजा जा रहा मोटा बिल बंद करने, परिसर से निकलने वाली हाई टेंशन लाइन के नीचे रहने वाले लोगों का पुनर्वसन करके जमीन के मालकी हक के पट्टे देने, नगर पंचायत में हुए भ्रष्टाचार की जांच करने और संभाजीनगर को आरक्षण से मुक्त करने की मांग को लेकर महादुला संघर्ष समिति द्वारा मोर्चा निकाला गया.
मोर्चे का नेतृत्व चिरकुट वासे, पंकज सोर, सुधीर धुरिया, मंगल सुरडकर, आकाश उके, शेषराव हावरे और विक्की खिल्लारे ने किया. शिष्ट मंडल ने मंत्री तानाजी सावंत से मिलकर निवेदन सौंपा. उन्हें बताया कि कोराडी बिजली केंद्र से उड़ने वाली राख परिसर की नदी और जलकुंभ में आ जाती है. इससे स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है. दूषित जल पानी के लिए नागरिकों को 560 रुपये बिल भरना पड़ता है. सावंत ने संबंधित विभाग के मंत्री और अधिकारियों से चर्चा कर उचित निर्णय लेने का आश्वासन दिया.