RTMNU, nagpur University

    Loading

    नागपुर. राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय से संलग्नित 503 कॉलेजों में से एक चौथाई यानी करीब 123के पास खुद की इमारत नहीं है. इन कॉलेजों ने किराये से इमारत ले रखी है. कुछ तो वर्षों से किराये की इमारतों में चल रहे हैं. कुछ कॉलेजों को बाकायदा अनुदान भी प्राप्त है. साधन-सुविधाओं के अभाव के बाद भी विवि की स्थानीय जांच समिति द्वारा हर वर्ष संलग्नता प्रदान कर दी जाती है.

    पिछले दिनों खामला के श्रीराधे महाविद्यालय को लेकर जमकर बवाल मचा. दरअसल संस्था ने कॉलेज का जो पता दिया है, वहां वह है ही नहीं. खामला चौक पर जूपिटर जूनियर कॉलेज के 2 कमरों में कॉलेज चलाया जा रहा है. इस तरह के अनेक कॉलेजों के बारे में जानकारी सामने आई है. जो 125 कॉलेज किराये की इमारतों में चल रहे हैं. उनके पास आवश्यक साधन-सुविधाओं का अभाव है. साइंस फैकल्टी के कॉलेज होने के बाद भी प्रयोगशाला नहीं है. कुछ संस्थाओं ने वेबसाइट पर एड्रेस गलत दे रखा है. इन कॉलेजों में छात्र प्रवेश तो लेते हैं लेकिन वर्षभर में गिनती की क्लासेस लगती हैं. इसकी मुख्य वजह कॉलेजों में प्राध्यापकों की कमी है. कुछ कॉलेजों में 2-3 नॉन टीचिंग स्टाफ ही हैं.

    न कैंटीन, न ही लाइब्रेरी

    बताया जाता है कि 54 विज्ञान पाठ्यक्रम चलाने वाले कॉलेज किराये की इमारत में हैं. वहीं 4 शारीरिक शिक्षण कॉलेज भी इसी तरह चल रहे हैं. कम्प्यूटर लैब के नाम पर कुछ कम्प्यूटर रख दिए गए हैं जिनका वर्षभर कभी उपयोग ही नहीं होता. कई कॉलेज तो एलईसी के निरीक्षण के दौरान किराये के कम्प्यूटर लाकर रख देते हैं. नियमानुसार हर कॉलेज में खेल मैदान होना आवश्यक है. साथ ही लाइब्रेरी, कैंटीन भी जरूरी है लेकिन 2-4 कमरों में चल रहे इन कॉलेजों के लिए विवि के मापदंडों का पालन बेमानी है. यह भी पता चला है कि कुछ कॉलेजों के कार्यालय किसी फ्लैट में हैं, जबकि क्लासेस अनुदानित स्कूलों में चलाई जाती हैं.

    LEC की कार्यप्रणाली ही संदेह में

    दरअसल इस बार विवि द्वारा परीक्षा के लिए होम सेंटर दिए जाने से ही लापरवाही उजागर हुई है. वहीं परीक्षा नियंत्रक ने भी कॉलेजों के बारे में जानकारी मांगकर सूची तैयार करने का काम शुरू किया है. बताया जा रहा है कि साधन-सुविधाओं के अभाव में चलने वाले कॉलेजों को नोटिस जारी किया जाएगा. इसके बावजूद स्थानीय जांच समिति की कार्यप्रणाली पर अब भी सवालिया निशान लगा हुआ है. आखिर समिति किस आधार पर इन कॉलेजों को संलग्नता प्रदान करती है? यह भी कहा जाता है कि खामियों को छिपाने के लिए समिति सदस्यों की जेबें गरम की जाती हैं. इसके बाद ही वे सकारात्मक रिपोर्ट तैयार करते हैं.