Prafull Gudadhe Patil

    Loading

    • 42 टंकियों का होना था निर्माण
    • 11 टंकियां ही बन पाईं
    • 5 टंकियों का चल रहा कार्य

    नागपुर. शहर को सुचारू जलापूर्ति के लिए 24×7 योजना लागू की गई. एक दशक से अधिक का योजना को हो चुका है किंतु आलम यह है कि अभी भी लोगों को इसका लाभ पाने के लिए इंतजार करना पड़ेगा. इसकी वास्तविकता उस समय उजागर हुई, जब कांग्रेस के वरिष्ठ पार्षद प्रफुल्ल गुड्धे ने अमृत योजना के तहत निर्मित हो रहीं टंकियों और इसमें अधिकारियों और कम्पनी द्वारा बरती गई लापरवाही उजागर की. मनपा की आम सभा में प्रश्नोत्तर के जरिए मुद्दा उठाते हुए गुड्धे ने कहा कि वर्ष 2010 में अमृत योजना के तहत 42 टंकियों का निर्माण करने का डीपीआर तैयार किया गया. उस समय 226 करोड़ का डीपीआर तैयार किया गया था इसे बाद में सुधार कर 273 करोड़ कर दिया गया. केंद्र सरकार की वेबकास कम्पनी को टंकियों के निर्माण की जिम्मेदारी सौंपी गई. वर्तमान स्थिति यह है कि इनमें से केवल 11 टंकियां ही निर्मित हो पाई. जबकि 5 के काम शुरू है. उन्होंने 24×7 योजना टाइम फ्रेम में पूरी करने के आदेश प्रशासन को देने की मांग की.

    …तो क्या सो रही थी मनपा

    चर्चा के दौरान गुड्धे ने कहा कि वास्तविक रूप में अमृत योजना के तहत जहां टंकियों का निर्माण होना था, डीपीआर बनाते समय ही संबंधित जमीन किसकी है. इसका आकलन करना चाहिए था किंतु सलाहकार की ओर से इसका आकलन नहीं किया गया. फलस्वरूप समय पर जमीन उपलब्ध नहीं होने से वेबकास कम्पनी ने काम करने से इनकार कर दिया. यहां तक कि डीआई पाइप की जलावाहिनी डाली जानी थी. इसमें अधिक लागत लगने से कम्पनी ने एसडीपी की जलवाहिनी का काम तो किया लेकिन डीआई का काम करने से इनकार कर दिया. अब मनपा को काम करना होगा. जिसके लिए लागत बढ़ने से 350 करोड़ तक खर्च बढ़ने का आरोप उन्होंने लगाया. लंबी बहस के बाद महापौर दयाशंकर तिवारी ने प्रत्येक टंकियों के निर्माण में आ रही परेशानियों की पूरी जानकारी के साथ रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश प्रशासन को दिए. 

    प्रशासन का क्या है कहना

    • जिस समय डीपीआर तैयार किया गया, उस समय जमीनों की मालकियत और उसकी वर्तमान स्थिति का आकलन सलाहकार द्वारा ठीक से नहीं किया गया. जिससे वास्तविक निर्माण के दौरान विवाद हुए. 
    • कुछ टंकियों के निर्माण का स्थानीय लोगों द्वारा विरोध हो रहा है. कुछ टंकियों का निर्माण अन्य कार्य के लिए आरक्षित जमीन पर बनना है. 
    • हाई कोर्ट के समक्ष जाकर नीरी, प्रन्यास, पीकेवी और अन्य विभागों के अधिकार की जमीन के लिए आदेश मांगे जाएंगे.
    • 377 किलोमीटर की जलवाहिनी डालना था उसमें से अब तक 321 किलोमीटर की जलवाहिनी का काम हो चुका है.
    • मनपा को करना पड़ेगा 16 टंकियों का निर्माण
    • 11 टंकियों के लिए जगह ही उपलब्ध नहीं