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    • 2.5  लाख रुपये सिटी के लाभार्थियों को 
    • 1.20 लाख ग्रामीण के लिए मिलते हैं

    नागपुर. देश के हर नागरिक को अपने अधिकार की छत मिल सके, इसके लिए प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण व शहरी) सर्वसामान्य नागरिकों के लिए शुरू की गई है. प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत ग्रामीण भागों के लाभार्थियों को 1.20 लाख व शहरी भागों के लाभार्थियों को 2.5 लाख रुपये की आर्थिक मदद दी जाती है लेकिन ग्रामीण भागों के लाभार्थियों को दिया जाने वाला अनुदान शहरी क्षेत्र की तुलना में कम होने से ग्रामीण लाभार्थियों को मकान के निर्माण कार्य में दिक्कतें आ रही हैं. अब दोनों क्षेत्रों के अनुदान को समान करने की मांग की जा रही है. 

    प्रधानमंत्री आवास योजना की वजह से लोगों को राहत मिली है. अनुदान की राशि मिल जाने से मकान बनाने के कार्य में मदद हो रही है लेकिन वर्तमान में शहरी और ग्रामीण दोनों भागों में ही लागत लगभग समान ही है. सामग्री शहरी क्षेत्रों से ही खरीदना पड़ता है. यदि ग्रामीण भाग में दूकानें हों तो वे भी शहरी भागों से खरीदकर लाते हैं. इस वजह से दोनों भागों में बहुत ज्यादा अंतर नहीं रह गया है.

    इसके बाद भी ग्रामीण भागों में शहरी क्षेत्र की तुलना में  कम अनुदान मंजूर हुआ है. ग्रामीण क्षेत्र की जनसंख्या शहर की तुलना में अधिक है. इसके अनुसार ग्रामीण भागों के आवास के लिए मिलने वाला अनुदान अत्यंत अल्प है. यही वजह है कि प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण व शहरी आवास का अनुदान समान करने के लिए केंद्रीय ग्राम विकास विभाग से मांग की गई.

    पुन: सर्वेक्षण व पुनर्निर्धारित करने की मांग 

    प्रधानमंत्री आवास योजना अंतर्गत ग्रामीण भागों के मकानों के निर्माण कार्य के ग्रामीण भागों में हर आवास के लिए 1.20 लाख रु. का अनुदान लाभार्थियों को मिलता है. इसके अलावा प्रति आवास शौचालय के लिए 12 हजार रुपए दिए जाते हैं. साथ ही मनरेगा जॉबकार्ड धारी लाभार्थियों को 90 दिनों की मजदूरी दी जाती है. ग्रामीण भागों के लिए मिलने वाला अनुदान यह अल्प है. इतने कम अनुदान में ग्रामीण क्षेत्र में मकान बनाना संभव नहीं हो पाता.

    लाभार्थियों का चयन सामाजिक आर्थिक और जाति जनगणना के आंकड़ों के आधार पर किया जाता है. जिनका नाम इस सूची में नहीं है, उन्हें आवास का आवंटन नहीं होता. जिले में बड़ी संख्या में जरूरतमंद आवास के लाभ से वंचित हैं. इस कारण प्रपत्र ड के पुन: सर्वेक्षण की आवश्यकता बताई जा रही है. साथ ही सरकार से योजना की समीक्षा करने और वर्तमान परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए अनुदान को पुनर्निर्धारित करने की मांग की जा रही है.