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  • कोर्ट ने कहा, झूठा मुकदमा दर्ज करने का शक, संदेह की स्थिति

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नागपुर. 1.24 लाख रुपये की चरस की तस्करी करते हुए पुलिस ने आरोपी को रंगेहाथ गिरफ्तार किया था. बावजूद इसके मामला दर्ज करने में 6 घंटे का लंबा वक्त लगा दिया. पुलिस द्वारा इस देरी का कारण स्पष्ट नहीं हुआ. साथ ही इस बारे में पंच ने भी कुछ नहीं कहा. ऐसे में संभावना है कि आरोपी के खिलाफ झूठा मुकादमा दर्ज हो. इस बयान के साथ, सबूतों के अभाव में चरस तस्करी के एक मामले में अतिरिक्त जिला व सत्र न्यायाधीश पीबी घुगे ने आरोपी को निर्दोष करार दिया.

आरोपी नरसाला रोड निवासी नीलेश रमेश आसरे (४२) बताया गया. मामला 11 जुलाई 2017 का है जब क्राइम ब्रांच की एनडीपीएस टीम ने हुड़केश्वर रोड पर शाम करीब 5.30 बजे फिल्डिंग लगाकर नीलेश को चरस के साथ रंगेहाथ गिरफ्तार किया था. वह कार (एमएच 40/एसी-0557) में 1.242 कि.ग्रा. चरस लेकर जा रहा था जिसकी बाजार कीमत 1.24 लाख रुपये आंकी गई. मामला हुड़केश्वर थाने में दर्ज किया गया था. 

5.30 बजे अरेस्ट, 12.29 बजे मामला दर्ज

गिरफ्तारी के बाद से ही नीलेश जेल में था. बचाव पक्ष की ओर से सत्र न्यायाधीश घुगे के समक्ष बताया गया कि पुलिस के अनुसार, दोपहर 3.10 बजे चरस तस्करी की गुप्त सूचना मिली थी. शाम 5.30 बजे नीलेश को गिरफ्तार किया गया लेकिन थाना रिकॉर्ड के अनुसार मामला 12.29 बजे दर्ज किया गया. दलील दी गई कि घटनास्थल से थाने पहुंचकर मामला दर्ज करने में 6 घंटे से अधिक का समय क्यों लगा? पुलिस इसका स्पष्ट कारण नहीं बता सकी.

आरोपी की तलाशी के विषय में पुलिस द्वारा उचित प्रकिया और कानून का पालन नजर नहीं आता है. वहीं पुलिस के जवाब और स्वतंत्र गवाह के बयान में विषमता है. इस पर पूरी संभावना है कि पुलिस ने आरोपी पर झूठा मुकादमा दर्ज किया हो. कोर्ट ने बचाव पक्ष की दलील को मजबूत माना और संदेह का लाभ देते हुए नीलेश को निर्दोष करार देते हुए बरी कर दिया. अभियोजन पक्ष से एड. तिवारी, जबकि बचाव पक्ष से एड. त्रिवेदी, शुक्ला, राऊत और लद्दड़ ने पैरवी की. 

जब्त की गई कार घर पर ही थी

पुलिस में दर्ज शिकायत के अनुसार, पुलिस ने 11 जुलाई को शाम 5.30 बजे नीलेश को रास्ते पर कार के साथ गिरफ्तार किया था लेकिन इसी दिन नीलेश की बेटी का जन्मदिन भी था. ऐसे में कार घर ही खड़ी थी. बर्थडे सेलिब्रेशन के दौरान खींची गई तस्वीरों और वीडियोग्राफी कैमरे में भी यह सब कैद हुआ. यह सबूत भी कोर्ट के समक्ष पेश किए गए. कोर्ट ने बचाव पक्ष की दलीलों को स्वीकार किया.