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    नागपुर. सिविल लाइन्स में मनपा से केवल 1 किलोमीटर के भीतर के अंतर पर स्थित लोटस कोर्ट कोंडोमिनियम सोसाइटी में प्लॉटधारक द्वारा सार्वजनिक उपयोग की जमीन पर अनधिकृत निर्माण किए जाने के खिलाफ सोसाइटी की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई. इस पर सुनवाई के दौरान मनपा ने बताया कि इस तरह के अनधिकृत निर्माण के खिलाफ कार्रवाई की जाती है. इसी आधार पर मनपा इस अनधिकृत निर्माण के खिलाफ भी कार्रवाई करेगी. मनपा की ओर से दिए गए बयान के बाद न्यायाधीश नितिन जामदार और न्यायाधीश अनिल पानसरे ने याचिका का निपटारा कर दिया. याचिकाकर्ता की ओर से अधि. आदित्य गोयल, मनपा की ओर से अधि. रोहन छाबरा ने पैरवी की.

    फरवरी 2020 को ही जारी किया था नोटिस

    हाई कोर्ट के आदेशानुसार संबंधित प्लॉट के उपयोग को लेकर याचिकाकर्ता की ओर से तमाम दस्तावेज प्रस्तुत किए गए. सुनवाई के दौरान मनपा ने बताया कि जिस प्लॉटधारक ने सार्वजनिक उपयोग की जमीन पर अनधिकृत निर्माण किया है, उसे 6 फरवरी 2020 को ही नोटिस जारी किया गया है. कोरोना काल में हाई कोर्ट की विशेष अदालत ने आदेश जारी किए थे जिसकी वजह से कार्रवाई की पहल नहीं की गई. महाराष्ट्र रिजनल टाउन प्लानिंग एक्ट की धारा 53 (1) के अनुसार निर्धारित प्रक्रिया के आधार पर कार्रवाई की जाएगी. याचिकाकर्ता का मानना था कि इस अनधिकृत निर्माण के कारण सोसाइटी के सदस्य सार्वजनिक उपयोग की जमीन का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं. यहां तक कि उनकी आवाजाही भी प्रभावित की गई है. 

    23,845 वर्गफुट खुली जगह

    याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि 3 अगस्त 2005 को मनपा के नगर रचना विभाग की ओर से फ्लैट स्कीम का नक्शा मंजूर किया गया जिसके अनुसार 23,845 वर्गफुट जमीन सार्वजनिक उपयोग के लिए खुली छोड़ी गई थी. इस पर प्रतिवादी पक्ष एनआर बोबडे ने मकान का निर्माण किया. अनधिकृत निर्माण के खिलाफ वर्ष 2014 से लेकर 2019 तक निरंतर मनपा को शिकायत दी गई. यहां तक कि अनधिकृत निर्माण शुरू होते ही इसकी सूचना दी गई थी लेकिन बंगला पूरा होने तक मनपा ने किसी तरह की कार्रवाई नहीं की. 13 दिसंबर 2016 को मनपा ने प्रतिवादी को बिल्डिंग प्लान प्रस्तुत करने के आदेश दिए.

    इसके अलावा बिल्डिंग परमिट, अग्निशमन विभाग की मंजूरी, स्वास्थ्य विभाग का परमिट, टैक्स की रसीद और अन्य दस्तावेज देने के आदेश दिए. 23 जून 2017 को प्रतिवादी ने स्वीकार किया कि उसके पास दस्तावेज नहीं हैं. 21 नवंबर 2019 को मनपा की ओर से दूसरा नोटिस जारी किया गया लेकिन दस्तावेज नहीं दिए गए. इसके बाद एमआरटीपी की धारा 53 (1) के तहत 6 फरवरी 2020 को सहायक आयुक्त ने अनधिकृत निर्माण तोड़ने के लिए नोटिस जारी किया जिसमें 35 दिनों में अनधिकृत निर्माण हटाने के स्पष्ट आदेश दिए गए लेकिन अब तक कार्रवाई नहीं की गई.