Nagpur High Court
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  • इंटर मॉडल ट्रांसपोर्ट स्टेशन प्रोजेक्ट पर हाई कोर्ट ने कहा

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नागपुर. अजनी की वन जमीन पर प्रस्तावित इंटर मॉडल ट्रांसपोर्ट स्टेशन तथा इसके लिए तोड़े जा रहे वृक्षों से पर्यावरण को नुकसान होने का हवाला देते हुए हाई कोर्ट में याचिकाएं दायर की गईं. याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान अदालत ने मौखिक रूप से कहा कि अजनी की वन  जमीन सार्वजनिक सुविधाएं विकसित करने के लिए हैं. यहां पर वन विकास नहीं किया जा सकता है. ऐसे में महत्वाकांक्षी प्रकल्प इंटर मॉडल ट्रांसपोर्ट स्टेशन प्रोजेक्ट पर आपत्ति जताना अनुचित होगा. याचिकाकर्ता की ओर से अधि. अनिलकुमार मूलचंदानी ने पैरवी की. उल्लेखनीय है कि इंटर मॉडल ट्रांसपोर्ट स्टेशन प्रोजेक्ट के लिए केंद्र सरकार और रेलवे की मालकियत की 446 हेक्टेयर भूमि का उपयोग किया जाना है. अजनी, धंतोली और मौजा जाटतरोडी अंतर्गत इस जमीन का उपयोग होना है. 

वन के लिए आरक्षित नहीं जमीन

अदालत ने कहा कि समय के साथ इस जमीन पर वन की तरह पेड़ बढ़ गए हैं, जबकि जमीन वन के लिए आरक्षित ही नहीं है. याचिकाकर्ताओं का मानना है कि पर्यावरण संरक्षण करना सरकारों की जिम्मेदारी है. अलग-अलग उजागर हुई रिपोर्ट के अनुसार नागपुर के तापमान में लगातार वृद्धि हो रही है. इसी तरह लगातार प्रदूषण भी बढ़ रहा है. पर्यावरणीय बदलाव में यदि अजनी की घनी वन संपदा खत्म की गई तो भारी नुकसान होगा. यहां तक कि इसकी भरपाई नहीं हो सकेगी. अत: पर्यावरण की दृष्टि से इस पर गंभीरता से विचार होना जरूरी है. 

राज्य वृक्ष प्राधिकरण की मंजूरी जरूरी

याचिकाकर्ताओं का मानना था कि नये वृक्ष कानून के अनुसार 200 से अधिक वृक्षों की कटाई के लिए राज्य वृक्ष प्राधिकरण की मंजूरी जरूरी है. इस प्राधिकरण की ओर से अब तक मंजूरी प्रदान नहीं की गई है. सरकार की ओर से इसके लिए कुछ समय देने का अनुरोध अदालत से किया. इस पर अदालत ने 6 सप्ताह का समय प्रदान किया. विशेषत: प्रोजेक्ट के लिए एनएचएआई ने अजनी वन के 4,930 पेड़ काटने के लिए आवेदन किया है जिसके खिलाफ 7,000 से अधिक आपत्तियां दर्ज की गईं. वृक्ष प्राधिकरण की ओर से इन आपत्तियों पर निर्णय लिया जाना है.