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    नागपुर. शासकीय वैद्यकीय महाविद्यालय व अस्पतालों में दवाइयों सहित सर्जिकल सामग्री की खरीदी के लिए जिला नियोजन समिति द्वारा नियोजन किया जाता है. इस संबंध में 7 मार्च 2022 को अध्यादेश भी जारी किया गया. मेडिकल प्रशासन ने इसी अध्यादेश के आधार पर 3.59 करोड़ का प्रस्ताव जिला प्रशासन के माध्यम से सरकार को भेजा लेकिन अब तक प्रस्ताव ठंडे बस्ते में पड़ा है. इस पर ध्यान ही नहीं दिया गया.

    प्रशासन की ओर से निधि नहीं मिलने की वजह से मेडिकल में डॉक्टरों के प्रिसक्रिप्शन पर अब दवाइयों के साथ ही कॉटन, ग्लव्स और बैंडेज भी लिखे जाते हैं. जबकि यह सुविधा सरकार की ओर से मिलना अपेक्षित है. वर्तमान में मेडिकल में मरीजों की संख्या बढ़ी है. लग रहा था कि मिहान में एम्स के बाद मरीजों की भीड़ कम होगी लेकिन स्थिति विपरीत बनी हुई है.

    मरीजों की संख्या बढ़ने के साथ ही सुविधाएं भी कमजोर पड़ती जा रही है. यहां कैजुअल्टी, बाह्यरुग्ण विभाग या फिर ऑपरेशन थियटर सभी जगह मरीजों के हाथ में प्रिस्क्रिप्शन थमा दिया जाता है. पहले सर्जिकल सामग्री सहित ग्लव्स उपलब्ध हो जाते थे लेकिन अब मरीजों को ही खरीदकर लाना पड़ता है. 

    कैजुअल्टी में जीवनरक्षक औषधियां तक नहीं 

    मेडिकल के अस्थिव्यंगोपचार विभाग में लगभग जख्मी मरीज आते हैं. सबसे अधिक बैंडेज इसी विभाग में लगती है लेकिन बैंडेज खत्म होने के कारण निवासी डॉक्टर पर्ची पर लिखकर दे रहे हैं. ऐसे अनेक मरीज होते हैं, जिनके पास खरीदने के लिए पैसे नहीं होते हैं. इस हालत में डॉक्टरों के साथ विवाद की स्थिति बनती है. कैजुअल्टी में जीवनरक्षक औषधियों का हमेशा अभाव रहता है. बताया जाता है कि दवा ठेकेदार का बकाया नहीं दिये जाने के कारण ही आपूर्ति बंद कर दी गई है. खरीदी के संबंध में नई नीति बनाये जाने के कारण भी दिक्कतें आ रही हैं.