File Photo
File Photo

    Loading

    नागपुर. सर्वोच्च न्यायालय की ओर से हरी झंडी मिलने के बाद स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण की लाटरी को लेकर राज्य चुनाव आयोग की ओर से प्रक्रिया पूरी की गई. अब प्रत्येक प्रभागों में जाति निहाय सीटों का आरक्षण पूरा होने से स्थिति स्पष्ट हो गई है. यहीं कारण है कि भाजपा और कांग्रेस जैसे राजनीतिक दल सीटों पर प्रत्याशियों के नामों पर मंथन में जुट गई है. एक ओर जहां भाजपा पुन: एक बार सर्वे करने के मूड में है, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस भी अधिकांश प्रभागों में नए चेहरे देने पर मंथन कर रही है.

    जानकारों के अनुसार मनपा में 5 वर्ष का कार्यकाल पूरा होने के कुछ समय पहले ही भाजपा की ओर से सर्वेक्षण किया गया था. जिसमें 70 प्रतिशत वर्तमान पार्षदों के टिकट कटने की संभावना जताई जा रही थी. इसके बाद भी कई सर्वे किए गए. माना जा रहा था कि भाजपा की ओर से 4 सदस्यीय प्रभाग के अनुसार सर्वे कराया गया, किंतु अब 3 सदस्यीय प्रभाग निश्चित होने के कारण पुन: सर्वे होने की जानकारी सूत्रों ने दी.

    छोटे दलों का ‘वेट एंड वॉच’

    -जानकारों के अनुसार प्रभाग आरक्षण निर्धारित होने तथा अब केवल चुनाव की घोषणा बची होने के कारण जहां बड़े दल पहले से तैयारियों में जुट गए, वहीं छोटे दल अभी भी वेट एंड वॉच की भूमिका में है.

    -माना जा रहा है कि कुछ छोटे दल बड़े दलों के साथ गठबंधन की संभावनाएं तलाशने में जुटी हुई है. 3 सदस्यीय प्रभाग पद्धति होने के कारण 156 सदस्यों की तैयारी कर पाना छोटे दलों के लिए परेशानियों भरा होता है. यहीं कारण है कि बड़े दलों के साथ गठबंधन में जाने पर कुछ ही सीटों पर ताकत आजमाई जा सकती है. 

    -जानकारों के अनुसार कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस के बीच गठबंधन को लेकर भी अभी तक कुछ संकेत नहीं दिए गए. जबकि दोनों दलों के साथ लड़ने की संभावनाएं जताई जा रही है. इसी तरह से महाविकास आघाड़ी का भी भविष्य निर्धारित होना है. राज्य में शिवसेना की हालत को देखते हुए स्थानीय निकाय चुनाव में महाविकास आघाड़ी के रूप में उनके गठबंधन में जाने की अधिक संभावनाएं जताई जा रही है.

    अगस्त तक ही 3 सर्वे

    सूत्रों के अनुसार ओबीसी आरक्षण के पूर्व भाजपा ने 3 सर्वे किया था. अब ओबीसी को राजनीतिक आरक्षण मिलने के बाद प्रभागों की बदली स्थितियों के अनुसार पुन: सर्वे की तैयारी की है. पार्टी के एक नेता की ओर से अगस्त के अंत तक 3 सर्वे होने के संकेत दिए हैं. जिसमें पार्टी की ओर से एक सर्वे कराया जाएगा. जबकि गडकरी और फडणवीस की ओर से भी अलग-अलग सर्वे किए जाएंगे. भाजपा में इन दोनों नेताओं के समर्थक प्रत्याशी होंगे. जिससे सीटों का गुणा-भाग करते समय विवाद को टालने के उद्देश्य से पहले से ही सर्वे का सहारा लिया जा रहा है. जिसमें टिकट बांटते समय पार्टी के सर्वे पर भी संज्ञान लिया जाएगा. 

    कड़े मुकाबले की तैयारी

    कांग्रेस के नेताओं का मानना है कि देश में हो रही राजनीति किसी से छीपी नहीं है. कई एजेन्सियों के बल पर चल रही रणनीति से जनता भी वाकिफ है. इसके अलावा महंगाई और बेरोजगारी के साथ ही सिटी के विकास का भी मुद्दा है. विकास का नाम आते ही भाजपा की ओर से केंद्र और राज्य सरकार के विकास कार्यों को जोड़कर जनता को भ्रमित करने का काम किया जाता है. इस तरह की राजनीति को जनता के सामने उजागर करना है. जिस तरह से भाजपा में गडकरी और फडणवीस के अलावा अन्य बड़े नेताओं के समर्थकों के बीच खींचतान होती है, वैसे ही कांग्रेस में भी बड़े नेताओं के समर्थकों में टिकट के लिए संघर्ष होना कोई गलत नहीं है लेकिन टिकट वितरण के बाद एकजुटता से कड़ा मुकाबला किया जाएगा. वर्तमान में मेरिट के आधार पर ही टिकट दिए जाएंगे. मनपा में भाजपा की तानाशाही कार्यप्रणाली को लोगों के समक्ष रखा जाएगा. 

    तय करों नाम

    मनपा में भाजपा के 15 वर्ष और इस कार्यकाल में लिए गए फैसलों के अलावा राज्य में चल रही उठापठक को देखते हुए बड़ा घमासान होने की संभावाएं जताई जा रही है. यदि कांग्रेस एकजुटता से लड़ती है तो ही उसकी झोली में सफलता आ सकती है. गांधी परिवार पर ईडी की कार्रवाई के दौरान हुए आंदोलन में 2 गुटों ने अलग-अलग मोर्चा खोल रखा था लेकिन अब शहर कांग्रेस कार्यकारिणी ने ब्लॉक व प्रभाग स्तर पर प्रमुख कार्यकर्ताओं को ही अपने प्रभागों से एक नाम सुनिश्चित कर देने को कहा है. इसका कितना पालन होता है, इसी पर सभी की नजरें लगी हुई है.