Bord exam
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    नागपुर. जिस तरह पिछले वर्ष कोरोना को लेकर स्कूलों की हालत हुई थी, बिल्कुल वही अवस्था इस बार भी बनी हुई है. पूरे वर्ष सिटी में करीब महीनेभर ही बोर्ड की क्लासेस लगी. वहीं जिले में करीब 2 महीने स्कूल चला होगा. यह स्कूल भी 50 फीसदी क्षमता के साथ ही चला. ऑनलाइन क्लासेस जैसे-तैसे ही चल रही हैं. यानी स्थिति संतोषजनक नहीं. इसके बावजूद सरकार ने 4 मार्च से बोर्ड की परीक्षाएं ऑफलाइन लेने का फैसला कर लिया है. अब मांग उठने लगी है कि कोरोना की स्थिति को देखते हुए परीक्षा की तिथि बढ़ाई जाये. साथ ही ‘जहां स्कूल वहां केंद्र’ देने पर भी विचार किया जाएगा. चालू शैक्षणिक सत्र में ऑफलाइन क्लासेस नियमित रूप से नहीं लग सकी.

    सरकार ने सोशल डिस्टेंसिंग को देखते हुए 50 फीसदी क्षमता के साथ स्कूल तो खोला, लेकिन सभी बच्चे शामिल नहीं हो सके. जनवरी में महीने में सराव परीक्षा होती थी इसमें छात्रों को बोर्ड परीक्षा की तैयारी कराई जाती थी लेकिन इस बार सराव परीक्षा भी नहीं हो सकी. प्रशासन ने कई दिनों तक कोचिंग-ट्यूशन पर पाबंदी लगा रखी, जिस वजह से छात्रों ने ऑनलाइन क्लासेस ही की. यानी कुल मिलाकर स्थिति पिछले वर्ष जैसी ही है इसके बावजूद मार्च महीने से बोर्ड की ऑफलाइन को लेकर छात्रों, पालकों सहित शिक्षकों के मन में भी ढेरों सवाल उठने लगे हैं. 

    जहां स्कूल वहां केंद्र पर विचार 

    विदर्भ में अब भी कई जिलों में स्कूल नहीं खुल सके हैं. शहरी भागों में करीब 70 फीसदी छात्र ही ऑनलाइन पढ़ाई में शामिल हो रहे हैं, जबकि ग्रामीण भागों में करीब 40-50 फीसदी छात्र ही बोर्ड की पढ़ाई कर सके हैं. इस हालत में ऑफलाइन परीक्षा लेना छात्रों के लिए नुकसानदेह हो सकता है. कोरोना का बढ़ते संक्रमण को देखते हुए पिछले दिनों शिक्षक संगठनों द्वारा ‘जहां स्कूल वहां केंद्र’ पैटर्न पर परीक्षा लेने की मांग की गई थी. बताया जाता है कि राज्य सरकार की कैबिनेट में इस मुद्दे पर भी चर्चा की गई है. यदि कोरोना के मामले कम नहीं हुये तो फिर सरकार द्वारा ‘जहां स्कूल वहां केंद्र’ पैटर्न के आधार पर परीक्षा ली जा सकती है.

    समयावधि बढ़ाने से छात्रों को मिलेगा मौका 

    पालकों द्वारा मांग की जा रही है कि परीक्षा की समयावधि करीब 1 महीना बढ़ाया जाना चाहिए. इससे छात्रों को पढ़ाई का अवसर मिल सकेगा, साथ ही यदि कोरोना कम होने पर स्कूल खुलता है तो सराव परीक्षा लेने का भी मौका मिल जाएगा. इससे छात्रों की परीक्षा को लेकर प्रैक्टिस भी हो जाएगी. सबसे अधिक चिंता बोर्ड के छात्र व पालकों को है. अब भी कोरोना के मामले कम नहीं हुये हैं. वहीं कई बच्चे भी कोरोना से पीड़ित हुये हैं. यदि परीक्षा काल में कोरोना की बाधा हुई तो फिर छात्रों का भविष्य चौपट हो सकता है.

    सरकार को छात्रों के भविष्य और उनके हितों को ध्यान में रखकर निर्णय लेना चाहिए. इस सत्र में भी ज्यादा दिनों तक ऑफलाइन क्लासेस नहीं लगी है. ऑनलाइन में भी सभी छात्र नियमित रूप से शामिल नहीं हो सकें. इस हालत में ऑफलाइन परीक्षा छात्रों की मुसीबतें बढ़ा सकती है. यदि परीक्षा की समयावधि बढ़ाने और ‘जहां स्कूल वहां केंद्र’ पर विचार किया गया तो छात्रों के लिए सुविधाजनक हो सकता है.

    – आशनारायण तिवारी, प्राचार्य, श्रीमती बीसी आदर्श विद्या मंदिर हाईस्कूल 

    बोर्ड के छात्रों का कोई भी नुकसान न हो, इस ओर शिक्षा विभाग सहित सरकार को गंभीरता से ध्यान देकर निर्णय लेना होगा. मार्च में परीक्षा का निर्णय उस वक्त ठीक था, जब ऑफलाइन क्लासेस चल रही थी. लेकिन कोरोना की वजह से वर्षभर में करीब महीनेभर ही नियमित क्लासेस चल सकी है. इस हालत में परीक्षाओं की तिथि को बढ़ाने से छात्रों को तैयारी करने का समय मिल जाएगा. ऑनलाइन की वजह से सभी छात्रों की समान पढ़ाई नहीं हो सकी है. 

    – प्रा.सपन नेहरोत्रा, विभागीय कार्यवाह, शिक्षक भारती