Nagpur High Court
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    नागपुर. बंगले बनाकर देने का लालच देकर लोगों के साथ करोड़ों की धोखाधड़ी किए जाने को लेकर मामला दर्ज होने के बाद गिरफ्तारी से बचने के लिए महाराजा डेवलपर्स के संचालक विजय डांगरे द्वारा हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया. याचिका पर हाई कोर्ट ने दिए आदेशों के अनुसार 2 करोड़ जमा किए जाने बाद याचिकाकर्ता को अंतरिम जमानत प्रदान की गई. याचिका पर सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने कहा कि हाई कोर्ट ने हर रविवार को पुलिस के समक्ष हाजिरी लगाने की शर्त पर अंतरिम जमानत प्रदान की किंतु इस शर्त का पालन नहीं किया जा रहा है. यहां तक कि याचिकाकर्ता जांच में सहयोग भी नहीं कर रहा है. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से किए गए अनुरोध पर समय प्रदान किया. साथ ही  न्यायाधीश अनिल पानसरे ने अगली सुनवाई पर अंतिम निर्णय करने का आदेश जारी किया. 

    पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल

    सुनवाई के बाद अदालत ने आदेश में कहा कि 10 जनवरी 2019 को मामला दर्ज किया गया. अंतरिम जमानत के लिए याचिकाकर्ता ने सत्र न्यायालय में अर्जी दायर की. किंतु वहां राहत नहीं मिली जिसके बाद हाई कोर्ट में अर्जी दायर की गई. 22 फरवरी 2019 को अंतरिम जमानत प्रदान की. अदालत ने आदेश में कहा कि इस समय तक याचिकाकर्ता को गिरफ्तार नहीं किया गया. शायद गिरफ्तार नहीं करना ही जांच अधिकारी ने उचित समझा है. लेकिन गंभीर खामी यह है कि 3 वर्ष बीतने के बाद भी जांच पूरी नहीं की जा सकी है. याचिकाकर्ता ने पावर ऑफ अटॉर्नी के आधार पर आरक्षित जमीन पर प्लॉट बनाकर बेच दिया जिससे यह धोखाधड़ी का मामला बनता है. 

    सुरक्षा का लाभ उठा रहा याचिकाकर्ता

    अदालत ने आदेश में कहा कि एक ओर जहां गत 3 वर्षों से जांच में कोई प्रोग्रेस नहीं है वहीं कोर्ट से अंतरिम जमानत के रूप में मिली सुरक्षा का लाभ याचिकाकर्ता उठा रहा है. इसके विपरीत याचिकाकर्ता को गिरफ्तार नहीं करना जांच अधिकारी द्वारा उचित समझा जा रहा है. सरकार की ओर से बताया गया कि कोर्ट द्वारा दी अंतरिम जमानत रद्द करने के लिए अर्जी दायर की गई है. शर्तों के अनुसार याचिकाकर्ता ने पुलिस थाने में हाजिरी नहीं लगाई है. 22 फरवरी 2019 से लेकर 19 दिसंबर 2019 तक एक बार भी थाना में हाजिरी नहीं लगाई. इसके बाद 3 जनवरी 2020 को नोटिस जारी कर जांच अधिकारी के समक्ष 5 जनवरी 2020 को उपस्थित रहने के आदेश दिए गए थे किंतु याचिकाकर्ता उपस्थित नहीं हुआ.  अदालत ने उक्त आदेश जारी किए.