नागपुर. एसटी कर्मियों द्वारा शुरू की गई हड़ताल के चलते जहां एक ओर एसटी महामंडल को यात्री परिवहन से तकरीबन 3 करोड़ 75 लाख रुपए का नुकसान पहुंचा है, वहीं दूसरी ओर मालवाहक सेवा ठप होने से करीब 20 लाख रुपए का नुकसान भी झेलना पड़ा है. बता दें कि मालवाहक सेवा भी बीते 4 दिन से लगभग पूरी तरह बंद हो गई है. इस हड़ताल का असर नागपुर शहर के साथ पूरे प्रदेश पर पड़ रहा है. हर वर्ग और पेशे का इंसान परेशान है.
उसे अपनी मंजिल तक पहुंचने के लिए तय शुल्क से ज्यादा पैसा देना पड़ रहा है. इसके बाद भी वह अपनी मंजिल तक समय पर नहीं पहुंच पा रहा है. सरकार द्वारा अब तक इस हड़ताल को खत्म करने के लिए जितने भी प्रयास किए हैं वे सब फेल साबित हुए हैं. इसी मसले पर जब आम आदमी से बात की गई तो उन्होंने अपनी पीड़ा बयां करते हुए सरकार से इस हड़ताल को जल्द से जल्द खत्म कराने की अपील की.
एसटी बसों का परिचालन बंद होने से यात्री बेहद परेशान हैं. वे अधिक किराया देने के बाद भी अपनी मंजिल तक समय पर नहीं पहुंच रहे हैं. मालवाहक, स्कूल बस, ऑटो रिक्शा व अन्य वाहनों के जरिए यह यात्री परिवहन सेवा शुरू तो हुई लेकिन यात्रियों की लूट-खसोट को रोक पाने में प्रशासन बेबस नजर आ रहा है.
-अभयकांत मिश्रा, स्थानीय निवासी
इस समय करीब 400 निजी वाहन शहर से आसपास के इलाकों में यात्री सेवा प्रदान करने में लगे हुए हैं. इन निजी वाहन चालकों द्वारा मौके का फायदा उठाते हुए अनाप-शनाप भाड़ा वसूला जाने लगा है. पीड़ित जब शिकायत करते हैं तो उनकी बात को अनसुना कर दिया जाता है जिससे अधिक वसूली का काम तेजी से जारी है.
-भूपेन्द्र सिंह, स्थानीय निवासी
यात्रियों से अधिक भाड़ा वसूल करने वाले निजी वाहन चालकों के खिलाफ किसी प्रकार की दंडात्मक कार्रवाई न होने की वजह से एसटी कर्मियों के आंदोलन का अप्रत्यक्ष फायदा निजी वाहन चालकों को मिल रहा है. इस मामले में न तो प्रादेशिक परिवहन विभाग कार्रवाई के मूड में नजर आ रहा, न ही शासन की ओर कुछ सख्त कदम उठाए जा रहे हैं.
-अतुल भोंडे, स्थानीय निवासी
सरकार को चाहिए कि किसी भी तरह इस हड़ताल को खत्म करे ताकि यातायात व्यवस्था फिर से सुचारु हो सके. अगर हड़ताल खत्म नहीं हो पा रही है तो कम से कम उन वाहनों पर लगाम लगाए जो वसूली करने में लगे हैं. इन्हें यात्रियों की सुविधा के लिए मंजूरी दी गई थी, न कि उनके लिए मुसीबत बनने के लिए.
-सौरभ पांडे, स्थानीय निवासी