Ajit Pawar
Ajit Pawar File Photo

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    नागपुर: शुक्रवार को महाराष्ट्र (Maharashtra) के विधानमंडल के शीतकालीन सत्र (Maharashtra Assembly Winter Session) का आखिरी दिन था। इस मौके पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) ने शिवसेना पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे की आलोचना की। उन्होंने ठाकरे गुट की तरफ से बार-बार की जा रही आलोचनाओं पर जमकर खरी खोटी सुनाई। 

    इसके बाद विपक्षी दल के नेता अजित पवार (Ajit Pawar) ने मुख्यमंत्री को जवाब दिया। इस दौरान पवार ने शिंदे को मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारियों की याद दिलाई। साथ ही अजित पवार ने शिंदे-फडणवीस सरकार पर शीतकालीन सत्र में नारेबाजी करते हुए महाराष्ट्र के किसानों, मजदूरों और बेरोजगारों के साथ नाइंसाफी करने का आरोप लगाया। इस समय मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को भी आस्था और अंधविश्वास का पाठ पढ़ाया गया था। साथ ही, ‘छत्रपति संभाजी राजे (Chhatrapati Sambhaji Raje) कोई धर्मवीर नहीं थे, वे एक स्वराजरक्षक थे।’

    विधानसभा में बोलते हुए अजित पवार (Ajit Pawar) ने बाल शौर्य पुरस्कार की जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को संबोधित किया। हम महाराष्ट्र में रहते हैं और यहां अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं दिया जाता। उन्होंने यह भी मांग की कि मुख्यमंत्री कम से कम स्वराजरक्षक  छत्रपति संभाजी महाराज की जयंती पर ‘बाल शौर्य  पुरस्कार ‘ की घोषणा करें। अजित पवार ने कहा, ‘छत्रपति संभाजी महाराज  धर्मवीर नहीं, स्वराजरक्षक थे। अजित पवार ने साफ शब्दों में कहा कि उन्होंने कभी धर्म की वकालत नहीं की। साथ ही छत्रपति शिवाजी महाराज ने ही हिन्दू स्वराज्य की स्थापना की। लेकिन, कुछ लोग जानबूझकर धर्मवीर… धर्मवीर… का जिक्र करते हैं जब मैं कैबिनेट में था, मैंने उस समय स्पष्ट कर दिया था कि संभाजी महाराज का नाम स्वराजरक्षक के रूप में लिया जाना चाहिए।’ 

    अजित पवार (Ajit Pawar) ने आगे कहा, ‘जो बीत गया उसे भूल जाने में ही भलाई है। पुरानी बातों को अभी निकालने का कोई मतलब नहीं है। आप प्रदेश की 13 करोड़ जनता के मुखिया हैं। आप मुख्यमंत्री हैं। देश की राजनीति में नंबर दो की स्थिति महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की है। महाराष्ट्र की एक संस्कृति, परंपरा है। इसे संरक्षित और बढ़ाया जाना चाहिए। इसकी जिम्मेदारी आप पर है शिंदे जी। हमें चलते रहना है, बात करने वाले बात कर रहे हैं। पवार ने यह भी कहा कि जनता इसे अच्छी तरह समझते हैं।’

    एनसीपी नेता ने आगे कहा, ‘यह सरकार सभी मोर्चों पर विफल रही है। इस सरकार की वजह से विदर्भ की हालत ख़राब हो गई है। हमने सदन में मंत्रियों के खिलाफ घोटालों के सबूत दिए। इस्तीफे की मांग को लेकर सदन के अंदर और बाहर दोनों जगह संघर्ष किया; लेकिन बेशर्म सरकार को इस बात की भनक तक नहीं लगी। पिछले सप्ताह के प्रस्ताव के जरिए महापुरुषों का अपमान करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए सरकार का ध्यान आकर्षित किया; लेकिन सरकार ने एक शब्द नहीं बोला। सीमावाद पर कड़ा संदेश देने के लिए सत्ता पक्ष की ओर से कोई प्रस्ताव नहीं आया। मानसून और शीतकालीन सत्र में रिकॉर्ड 78 हजार करोड़ की पूरक मांग मंजूर की गई।’