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  • छात्रों को किराए में मकान लेकर रहना पड़ रहा है

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नागपुर. जैसे-जैसे कोरोना संक्रमण कम हो रहा है, सरकार ने स्कूल-कॉलेज शुरू करने का फैसला लिया है लेकिन अभी तक कई जिलों में छात्रावास नहीं खोले गए हैं. नतीजतन छात्रों को किराए के मकान में रहना पड़ता है और वित्तीय बोझ उठाना पड़ रहा है. गरीब व जरूरतमंद छात्रों के सामने यह सवाल है कि किराये के मकान के लिए पैसे कहां से लाये. कोरोना ने पिछले दो साल से सरकारी छात्रावास बंद कर दिए हैं. इसके चलते गरीब व जरूरतमंद छात्रों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा.

पहली लहर की राहत के बाद दिसंबर 2021 में होस्टल शुरू किये गये थे लेकिन बाद में जैसे-जैसे कोरोना के मरीज बढ़ने लगे, होस्टल को फिर से बंद करने का फैसला लिया गया. उसके बाद 18 जनवरी को छात्रों को तत्काल छात्रावास खाली कराने के निर्देश दिये गये लेकिन नागपुर में छात्र होस्टल खाली नहीं कराने पर अड़े रहे. छात्रों ने आदेश का विरोध किया.

छात्रावास में ही भूख हड़ताल शुरू हो गई. छात्रों के आंदोलन को ध्यान में रखते हुये समाज कल्याण मंत्री धनंजय मुंडे ने सामाजिक न्याय विभाग को छात्रावास शुरू करने का आदेश दिया है. हालांकि नागपुर में छात्रावास शुरू है लेकिन जिले के कुछ भागों में भी अब भी छात्रावास बंद हैं. यही वजह है कि छात्रों को किराए के मकान में रहना पड़ रहा है और उनके भोजन की एक बड़ी समस्या बन गई है. छात्रावास बंद होने के कारण छात्रों को किराए के मकान में रहना पड़ रहा है, जो छात्र अच्छी वित्तीय स्थिति में नहीं हैं उन्हें पैसे के लिए काम करना पड़ता है. इसका असर छात्रों की पढ़ाई पर भी पड़ रहा है.