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    • 2-2 वर्ष तक नहीं होते कार्य
    • गाय-भैंसों से हो रहा एक्सीडेंट
    • VVMD के पास समय नहीं

    नागपुर. मिहान की बदहाली से कंपनियों के संचालक त्रस्त हो चुके हैं. उनकी सुनने वाला कोई नहीं है. नागपुर कार्यालय में कोई बैठता नहीं और फाइल मुंबई जाने के बाद गुम हो जाती है. 2-2 वर्ष तक फाइलें अटकी रहती हैं, लोग परेशान होकर अपना यूनिट कहीं और लगा लेते हैं. इसी प्रकार डब्ल्यू बिल्डिंग में कार्यरत कर्मचारियों के लिए बुनियादी सुविधाएं तक नहीं हैं. कंपनियों में आने वालों को रोजाना सुबह-शाम भैंस-गायों का सामना करना पड़ रहा है जिसके कारण कई बार गंभीर दुर्घटनाएं हो रही हैं. हवाई जहाज सुधारने वाले भैंसों से टकराकर हॉस्पिटल पहुंच रहे हैं. यह है मिहान की वास्तविकता. सोमवार को विकास आयुक्त की ओर से बुलाई गई बैठक में कंपनी प्रतिनिधियों ने महाराष्ट्र एयरपोर्ट डेवलपमेंट कंपनी (एमएडीसी) के खिलाफ जमकर गुस्सा निकाला. 

    विकास आयुक्त वी. श्रमण की अध्यक्षता में कंपनियों के लिए बैठक का आयोजन किया गया था. बैठक में 20-25 कंपनियों के प्रतिनिधि शामिल हुए. अधिकांश प्रतिनिधियों की आम शिकायत थी कि एमएडीसी नागपुर कार्यालय में कोई सुनने वाला नहीं है. 7-8 महीनों तक फाइलों को इधर से उधर घुमाया जाता है और अंत में मुंबई का हवाला देकर कार्य को टाल दिया जाता है. 

    निवेश पर पड़ रहा प्रतिकूल असर 

    बैठक में कई उद्यमियों ने बताया कि 2 वर्ष इंतजार करने के बाद भी उन्हें जमीन आवंटन नहीं किया गया जिसके कारण उन्हें दूसरी जगह पर शिफ्ट करना पड़ा. मिहान में आने वाला निवेश कहीं और चला गया. कुछ लोगों ने बताया कि एप्रोच रोड का निर्माण नहीं हुआ है जिसके कारण 5-7 माह से यूनिट का काम शुरू नहीं कर पा रहे हैं. एमएडीसी के अधिकारी टालमटोल रवैया अपनाये रहते हैं. फाइल को लटकाये रखना इसका मुख्य मकसद हो गया है. यही कारण है कि लोग अब परेशानी महसूस करने लगे हैं. 

    शौचालय तक ठीक नहीं 

    मुख्य बिल्डिंग के शौचालय तक दुरुस्त नहीं कराया जाता है. कई कंपनियों में जो युवा काम कर रहे हैं उन्हें टॉयलेट जाने में शर्मिंदगी महसूस होती है. कंपनियां दुरुस्त कराना चाहती हैं तो भी मंजूरी नहीं दी जाती. युवाओं के बीच बात फैल गई है और कई लोग आने से कतराने लगे हैं. कैंटीन की सुविधा नहीं है. कैंटीन के नाम पर टेबल-कुर्सी लगाकर छोड़ दिए गए हैं. घर से खाना लाकर यहां खाना पड़ता है. नाश्ते पानी का कोई इंतजाम तक यहां पर नहीं है. इच्छुक लोगों को मंजूरी भी नहीं दी जाती है. रिमांडर कराने पर बिजली-पानी काटने की धमकी देते हैं.

    सड़कों पर गाय-भैंसों का जमावड़ा

    एमआरओ के प्रतिनिधि ने कहा कि उनके यहां के कर्मचारी कई बार दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं. विमान ठीक करना तो दूर उन्हें अस्पताल भेजना पड़ा. यह बहुत बड़ी समस्या है. एमएडीसी को कई बार पत्र दिया गया लेकिन कुछ नहीं किया गया. एक प्रतिनिधि ने कहा कि कंपनियों के अंदर गाय-भैंस घुस जाती हैं. बाहर निकालने पर स्थानीय लोग तू तू-मैं मैं पर उतारू हो जाते हैं. इसलिए कंपनी संचालकों में दहशत का माहौल बना रहता है. मिहान जैसी जगह में इस प्रकार के माहौल से खराब संदेश निवेशकों के बीच जाता है. 

    सप्ताह में एक दिन वीसीएमडी यहां रहे

    सभी का एक स्वर में यह मत था कि एमएडीसी के नागपुर कार्यालय को पंगु बना दिया गया है. यहां पर कोई काम नहीं होता है, इसलिए वीसीएमडी को कम से कम सप्ताह में एक दिन नागपुर में आना ही चाहिए. उनके आने से कई समस्याओं का समाधन निकल सकता है. परंतु वे आते नहीं हैं. आते हैं तो किसी को कुछ पता नहीं चलता है. किसी से मिलते तक नहीं है. ऐेसे में मिहान का भला नहीं हो सकता है. आज निवेश कर चुके लोग भी परेशान हैं और जो लोग निवेश करने को इच्छुक हैं, वे भी चक्कर लगा-लगाकर परेशान हो गए हैं. 

    यूथ ब्रिगेड को लाना समय की मांग

    उपस्थित लोगों की डिमांड थी कि कार्य को सुचारु करने और मिहान को उसकी पहचान दिलाने के लिए यूथ ऑफिसर को नियुक्त करना समय की मांग है. रिटायर्ड व्यक्ति के हाथों में कमान नहीं होनी चाहिए. मिहान की मार्केटिंग, ब्रांडिंग और नई पहचान दिलाने में यूथ अधिकारी ही कारगर होंगे.

    हरियाली का कोई प्रयास नहीं 

    हरियाली बढ़ाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया जाता है. ग्रीन फाउंडेशन नागपुर की ओर से वीसीएमडी से लेकर नागपुर तक के अधिकारियों को पूरे परिसर में वृक्षारोपण का प्रस्ताव दिया गया था, फाइल घूमती रह गई लेकिन निर्णय नहीं हो पाया. आज भी मिहान परिसर उजाड़ दिखता है. निशांत गांधी ने जल्द से जल्द मंजूरी देने की मांग की. इस पर कई कंपनियों के प्रमुख ने समर्थन किया और कहा कि मिहान परिसर में हरियाली बढ़ाने के लिए गंभीर प्रयास होना जरूरी है. 

    इस अवसर पर एमएडीसी के चैटर्जी, वेद के देवेंद्र पारख, शिवकुमार राव, नवीन मल्लेवार, निशांत गांधी, मनोहर भोजवानी, शांतनु पुराणिक, पुरोहित, कोठारी, मनोहर कोर्डे, नरेंद्र अग्रवाल, अजय उत्तरवार, दिलीप पटेल, अंचल सुरी, बिपेंद्र रेवतकर, तुषार उजावने, रोशन कोल्ते, नारायण राठी उपस्थित थे.