Court approves sacking of 12 Manpa employees, High Court validates Munde's decision
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    नागपुर. शिक्षण संस्था में नियुक्ति के लिए प्रस्ताव को निर्धारित समय के भीतर मंजूरी देने के आदेश हाई कोर्ट की ओर से दिए गए थे लेकिन आदेशों का पालन नहीं किए जाने के कारण अब याचिकाकर्ता यशपाल नंदेश्वर की ओर से हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की गई. इस पर सुनवाई के बाद न्यायाधीश विनय जोशी और न्यायाधीश वाल्मिकी मेनेझेस ने शिक्षा उपसंचालक को अवमानना का नोटिस जारी कर 3 सप्ताह में जवाब दायर करने के आदेश दिए. याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि 8 जुलाई 2022 को हाई कोर्ट की ओर से आदेश दिए गए थे जिसमें आदेश का पालन नहीं होने पर अवमानना दायर करने की स्वतंत्रता प्रदान की गई थी. याचिकाकर्ता की ओर से अधि. राधिका रासकर ने पैरवी की.

    समय के भीतर नहीं लिया निर्णय

    याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने कहा कि हाई कोर्ट ने मूल याचिका के प्रतिवादी शिक्षा उपसंचालक को आदेश जारी किए थे जिसमें अदालत ने याचिकाकर्ता की नियुक्ति को लेकर प्रस्ताव पर निर्धारित समय में पुनर्विचार करने को कहा था किंतु निर्धारित समय में निर्णय नहीं लिया गया है. उल्लेखनीय है कि लक्ष्मी शिक्षण संस्था और निर्धनराव पाटिल वाघाये सैनिक विद्यालय में पद भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किए गए थे. 9 अक्टूबर 2010 को याचिकाकर्ता को नियुक्ति पत्र जारी किया गया था. इन शिक्षण संस्थाओं ने याचिकाकर्ता की नियुक्ति पर मुहर लगाने के लिए शिक्षा उपसंचालक के पास प्रस्ताव भेजा था जबकि 28 अगस्त 2017 को शिक्षा उपसंचालक ने प्रस्ताव ठुकरा दिया. 

    शिक्षा उपसंचालक के आदेश को चुनौती

    याचिकाकर्ता का मानना था कि राज्य सरकार की ओर से 23 अक्टूबर 2013 और 12 फरवरी 2015 को अधिसूचना जारी की गई थी जिसके आधार पर प्रस्ताव ठुकराया गया था. जबकि 3 नवंबर 2018 को याचिकाकर्ता की नियुक्ति को मंजूरी देने के लिए शिक्षा उपसंचालक द्वारा पत्र जारी किया गया जिससे 28 अगस्त 2017 को ठुकराए गए प्रस्ताव के फैसले को चुनौती दी गई. सुनवाई के बाद अदालत ने जहां 28 अगस्त 2017 को दिए गए आदेश को निरस्त कर दिया, वहीं अदालत के इस फैसले की कापी मिलने के बाद 8 सप्ताह के भीतर पुनर्विचार की प्रक्रिया पूरी करने के आदेश भी दिए गए थे. किंतु इस आदेश का पालन नहीं किया गया.