Nagpur High Court
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    नागपुर. इंश्योरेंस कंपनी में बतौर मैनेजर और कंपनी में ही एजेंट का काम करने वाले उसके दूसरे सहयोगी ने मिलकर पॉलिसी में भारी भ्रष्टाचार किया. हालांकि अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने मामले पर सुनवाई के बाद भले ही अभियुक्त को निर्दोष बरी किया हो लेकिन उनके खिलाफ पुख्ता सबूत हैं. सबूतों का हवाला देते हुए सीबीआई ने निचली अदालत के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी. इस पर सुनवाई के बाद न्यायाधीश विनय जोशी और न्यायाधीश वाल्मिकी मेनेझेस ने अपील को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया. सीबीआई की ओर से अधि. मुग्धा चांदूरकर और मैनेजर की ओर से अधि. एचएस चौहान तथा एजेंट की ओर से अधि. डीके हजारे ने पैरवी की. उल्लेखनीय है कि सूचना मिलने के बाद सीबीआई के पुलिस अधीक्षक ने दोनों अभियुक्तों के खिलाफ मामला दर्ज कराया था. 

    पॉलिसी के नाम पर थमा दिया कवर नोट

    सीबीआई की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने कहा कि उपभोक्ताओं को पॉलिसी के कवर नोट तो आवंटित किए गए, किंतु पॉलिसी नहीं मिली. अत: आरोप यह है कि बोगस कवर नोट देकर आम जनता के पैसों की भारी धांधली की गई है. मामले की जांच में 18 गवाहों के बयान दर्ज किए गए. यहां तक कि बैंक से भी कई तरह के दस्तावेज प्राप्त किए गए जिसके अनुसार अभियुक्त की लिप्तता साबित हो रही है. निचली अदालत की ओर से मैनेजर के खिलाफ मामला चलाने के लिए ली गई मंजूरी को अवैध करार दिया गया. साथ ही सबूत भी पुख्ता नहीं होने का हवाला दिया गया. निश्चित मानकों के अनुसार सबूत नहीं होने की जानकारी निचली अदालत ने फैसले में दर्ज की है.

    मंजूरी के आदेश पर तारीख नहीं

    सुनवाई के बाद अदालत ने आदेश में कहा कि सभी गवाहों के बयान दस्तावेजों के साथ प्रस्तुत किए गए हैं. जहां तक वैधानिक मंजूरी का मामला है, अभियोजन पक्ष की ओर से तत्कालीन मुख्य प्रबंधक के बयान दर्ज किए गए. साथ ही उनसे मंजूरी भी प्राप्त की गई. इसके दस्तावेज अपील के साथ जोड़े गए है. मंजूरी को 2 स्तरों पर चुनौती दी गई है. पहले में मंजूरी लेने के लिए अधिकारों पर आपत्ति जताई गई. बचाव पक्ष का मानना है कि मंजूरी लेने के लिए अकल का इस्तेमाल नहीं किया गया. बचाव पक्ष की ओर से बताया गया कि मंजूरी का जो पत्र है, उस पर तारीख दर्ज नहीं है, जबकि सीबीआई द्वारा बताया जा रहा है कि पत्र पर सील के साथ ही तारिख भी अंकित है. दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद अदालत ने सीबीआई की अपील स्वीकार कर ली.