Nagpur High Court
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    नागपुर. बी.एससी. नर्सिंग के तीनों वर्ष की परीक्षाएं देने की अनुमति तो  मिली लेकिन इसके परिणाम घोषित नहीं किए जाने के कारण अब चौथे वर्ष की परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं मिल रही है. एडमिशन रेगुलेटिंग अथॉरिटी द्वारा की जा रही इस कार्यवाही को चुनौती देते हुए छात्रा ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की. याचिका पर सुनवाई के बाद न्यायाधीश सुनील शुक्रे और न्यायाधीश अनिल पानसरे ने तीनों वर्ष के परिणाम घोषित करने के आदेश प्रतिवादियों को दिए. साथ ही अदालत ने आदेश में कहा कि यदि चौथे वर्ष की परीक्षा में बैठने योग्य परिणाम उजागर होते हैं तो छात्रा को चौथे वर्ष की परीक्षा में बैठने की अनुमति देने के भी आदेश दिए. 

    हाई कोर्ट की अनुमति के बाद चौथे वर्ष के परिणाम

    अदालत ने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता छात्रा को योग्यता के अनुसार चौथे वर्ष की परीक्षा में बैठने की अनुमति तो दी जाए लेकिन हाई कोर्ट की अनुमति के बिना चौथे वर्ष का परिणाम घोषित नहीं किया जाए. उल्लेखनीय है कि 31 जनवरी 2019 के पूर्व जाति वैधता प्रमाणपत्र प्रेषित करने के आदेश जारी किए गए थे लेकिन जाति वैधता प्रमाणपत्र प्रस्तुत नहीं किए जाने के कारण एडमिशन रेगुलेटिंग अथॉरिटी ने छात्रा द्वारा वर्ष 2018-19 को बी.एससी. (नर्सिंग) के पाठ्यक्रम में लिए गए प्रवेश को मान्यता नहीं दी थी. याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि उसे 31 जनवरी 2019 को ही ओबीसी वर्ग की जाति वैधता का प्रमाणपत्र जारी किया गया था जिससे वह इसके पूर्व प्रमाणपत्र प्रेषित नहीं कर पाई. 

    खामियां दूर करने के लिए बढ़ाया था समय

    अदालत ने आदेश में कहा कि प्रमाणपत्र प्राप्त होने के बाद कॉलेज की ओर से इसे आगे प्रेषित किया गया. प्रवेश प्रबंधन प्राधिकरण ने  मान्य किया कि उसे 8 मई 2019 को प्रमाणपत्र प्राप्त हुआ है. याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि 22 अक्टूबर 2019 को प्रवेश प्रबंधन प्राधिकरण ने अधिसूचना जारी की थी जिसमें प्रवेश अर्जी और प्रक्रिया में खामियों को दूर करने की समयावधि बढ़ाकर 15 नवंबर 2019 कर दी थी. इस समयावधि के पहले ही याचिकाकर्ता ने जाति वैधता प्रमाणपत्र प्रस्तुत कर दिया था जिससे याचिकाकर्ता के प्रवेश को मान्यता प्रदान की जानी चाहिए. सुनवाई के बाद अदालत ने उक्त आदेश जारी किए.