Nagpur High Court
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    नागपुर. अवैध सम्पत्ति और भ्रष्टाचार प्रतिबंधित कानून के तहत बर्डी पुलिस थाने में दर्ज एफआईआर रद्द करने की मांग करते हुए मनपा में अधिकारी रहे डॉ. प्रवीण गंटावार दम्पति ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की. इस पर शुक्रवार को सुनवाई के बाद न्यायाधीश सुनील शुक्रे और न्यायाधीश एमडब्ल्यू चांदवानी ने बर्डी थाना, भ्रष्टाचार प्रतिबंधक विभाग और शिकायतकर्ता रवि मडावी को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में जवाब देने के आदेश दिए.

    याचिकाकर्ता की ओर से अधि. प्रकाश नायडू और सरकार की ओर से सहायक सरकारी वकील आईजे  दामले ने पैरवी की. अधि. नायडू ने कहा कि एक पुलिस कांस्टेबल की बेबुनियाद शिकायत के कारण याचिकाकर्ता को प्रताड़ित किया जा रहा है. दोनों याचिकाकर्ता पेशे से न केवल डॉक्टर हैं बल्कि उच्च डिग्री भी हासिल की है. वर्ष 2007 में मनपा ने महिला मेडिकल ऑफिसर के लिए विज्ञापन दिया था जिसमें निजी प्रैक्टिस करने पर किसी तरह की पाबंदी की शर्त दर्ज नहीं थी. 13 फरवरी 2007 को याचिकाकर्ता क्रमांक 2 शीलू गंटावार की मनपा में नियुक्ति की गई. इसी तरह याचिकाकर्ता क्रमांक 1 डॉ. प्रवीण गंटावार की भी नियुक्ति की गई.

    बिल देने से बचने के लिए शिकायत

    अधि. नायडू ने कहा कि कांस्टेबल रवि मडावी ने 6 दिसंबर 2011 को डॉ. गंटावार के  कोलंबिया अस्पताल एंड रिसर्च सेंटर में इलाज के लिए पत्नी को भर्ती कराया था. इलाज के बाद 17 दिसंबर को उसे छुट्टी दी गई. कैंसर के इलाज के लिए 1,51,800 रुपए और 59,020 रुपए का फॉर्मेसी का बिल रवि को थमाया गया. इसके बदले रवि ने 60,000 रुपए नगद और बची राशि के 2 चेक अदा किए. किंतु दोनों चेक बाउंस हो गए. याचिकाकर्ता द्वारा बकाया मांगे जाने पर उसने एट्रासिटी एक्ट के तहत शिकायत दर्ज कराई. साथ ही भ्रष्टाचार प्रतिबंधक विभाग के पास झूठी शिकायत भी दर्ज की. गृह विभाग के पास भी बेनामी शिकायत दर्ज कर याचिकाकर्ता की कथित अवैध सम्पत्ति की जांच कराने की मांग की गई. वर्ष 2014 से लेकर 2020 तक जांच तो हुई लेकिन उसमें कुछ भी अवैध नहीं पाया गया, जबकि सम्पत्ति से जुड़ी सभी जानकारी जांच के दौरान उपलब्ध कराई गई.

    सम्पत्ति का गलत आकलन

    अधि. नायडू ने कहा कि 15 जून 2018 को जांच पूरी करते हुए एसीबी ने सम्पत्ति को लेकर चार्ट तैयार किया. एसीबी के ऑडिटर ने सम्पत्ति का गलत लेखा-जोखा तैयार किया जिसमें 35.96 करोड़ की सम्पत्ति दिखाई गई. खर्च के रूप में 18.45 करोड़ तथा 25.58 करोड़ की अचल सम्पत्ति दिखाई गई. एसीबी की ओर से पूरा लेखा-जोखा फॉरेंसिक ऑडिट कंपनी को क्रॉस वेरिफिकेशन के लिए भेजा गया. फॉरेंसिक ऑडिट कंपनी ने अगस्त 2019 के पूर्व रिपोर्ट पेश की जिसमें याचिकाकर्ताओं की सम्पत्ति 10.12 करोड़ होने खुलासा किया गया. इसमें 3.17 करोड़ का खर्च और 3.81 करोड़ की अचल सम्पत्ति दर्शाई गई. फॉरेंसिक ऑडिट कंपनी के अनुसार याचिकाकर्ता के पास आय से अधिक सम्पत्ति नहीं होने का खुलासा हुआ है. सुनवाई के बाद अदालत ने उक्त आदेश जारी किए.