File Photo
File Photo

Loading

नागपुर. राजस्व आसूचना निदेशालय (डीआरआई) ने शनिवार को वन्यजीव तस्करी के बड़े प्रयास को विफल करते हुए 955 दुर्लभ प्रजाति के कछुओं को जब्त किया है. जब्त किये गये कछुओं की कीमत करीब 1 करोड़ के ऊपर होने की जानकारी मिली है. डीआरआई ने ऑपरेशन ‘कच्छप’ चलाते हुए नागपुर, भोपाल और चेन्नई में यह कार्रवाई की है. इसमें 6 तस्करों को गिरफ्तार किया गया. कछुओं की तस्करी में एक बड़े गिरोह के लिप्त होने की जानकारी विभाग को मिली थी जिसके तहत यह कार्रवाई की गई. प्राप्त जानकारी के अनुसार नागपुर डीआरआई टीम को गुप्त जानकारी मिली थी कि कछुआ तस्कर जीटी एक्सप्रेस में लखनऊ से होते हुए चेन्नई मार्ग जा रहे हैं, जिसके तहत टीम ने नागपुर में सुबह कार्रवाई कर 2 पुरुष और 1 महिला तस्कर को ट्रेन से अपने गिरफ्त में ले लिया.

इंटरनेशनल मार्केट में 50 लाख की कीमत

बताया जाता है कि 955 दुर्लभ कछुओं में से 541 कछुए नागपुर में पकड़ाए गए हैं. इसमें एक कछुआ इतना दुर्लभ है कि इसकी इंटरनेशनल मार्केट में करीब 50 लाख रुपये की कीमत है. तस्कारों द्वारा गंगा से पकड़कर कछुओं की बड़ी मात्रा में तस्करी किये जाने की जानकारी सामने आई है. ‘गंगा में रहने वाले कछुओं’ जिनमें से कुछ को आईयूसीएन की रेड लिस्ट और वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची एक व 2 के तहत खतरे में व संकटग्रस्त प्रजातियों के रूप में निर्दिष्ट किया गया है.

5-5 लाख में है बिकता

डीआरआई की टीम द्वारा जब्त किये गये कुछ कछुओं की कीमतें 5-5 लाख रुपये हैं जो कि बहुत कम पाये जाते हैं. तस्कर इस तरह के कछुओं को पकड़कर इंटरनेशनल में मार्केट में बेचकर इसका बड़ा व्यापार कर रहे हैं. अधिकारियों ने देश में विभिन्न स्थानों पर अपराधियों को एक साथ पकड़ने और कछुओं को बचाने के लिए एक जटिल और अखिल भारतीय योजना तैयार की है जिसके तहत इस तरह की कार्रवाई की जा रही है. इस समय नागपुर से सोना, ड्रग्स और कछुओं सहित अन्य चीजों की तस्करी के मामलों में काफी इजाफा आया है. आए दिन एयरपोर्ट से सोना और ड्रग्स के तस्कारों को पकड़ा जा रहा है.

10,000 से 50,000 लगती है कीमत

बताया जाता है कि जब्त किये गये इन कछुओं की कीमत 10,000 से 50,000 रुपये बताई जाती है. कछुओं की इन प्रजातियों में इंडियन टेंट, इंडियन फ्लैपशेल, क्राउन रिवर, ब्लैक स्पॉटेड/पॉन्ड और ब्राउन रूफ्ड टर्टल शामिल हैं. वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत प्रारंभिक जब्ती के बाद अपराधियों और गंगा के कछुओं को आगे की जांच के लिए संबंधित वन विभागों को सौंप दिया गया. बड़ी मात्रा में हो रही इन कछुओं की तस्करी के कारण इनका अस्तित्व खतरे में पड़ते जा रहा है. इनकी प्रजाति विलुप्त होते जा रही है. विभाग का यह ऑपरेशन पिछले महीनों से जारी ऐसे ही अन्य कार्रवाइयों की शृंखला का हिस्सा है. क्योंकि डीआरआई पर्यावरण को संरक्षित रखने और अवैध वन्यजीव तस्करी से निपटने के अपने संकल्प को जारी रखे हुए है.