नागपुर. एक ओर जहां विश्वविद्यालयों में स्नातक की प्रवेश प्रक्रिया पूरी हो चुकी है वहीं दूसरी ओर इंजीनियरिंग प्रवेश प्रक्रिया का अता-पता नहीं है. अब तक पंजीयन की भी शुरुआत नहीं हुई है. प्रक्रिया में देरी का सीधा असर प्रवेश पर पड़ेगा. पहले से ही छात्रों की कमी से जूझ रहे कॉलेजों को इस बार भी झटका लगने की संभावना है.
विश्वविद्यालयों में स्नातक की प्रवेश प्रक्रिया पूरी होने के बाद नियमित कॉलेज भी शुरू हो गये हैं. अन्य राज्यों में भी विश्वविद्यालयों के प्रवेश हो चुके हैं लेकिन इस बार इंजीनियरिंग की प्रक्रिया में काफी देरी हो चुकी है. सीईटी होने के करीब महीने बाद शुक्रवार को ‘आंसर की’ जारी की गई. हालांकि सीईटी परिणाम की अधिकृत घोषणा नहीं हुई लेकिन माना जा रहा है कि 15 सितंबर तक परिणाम आ जाएंगे. परिणाम के बाद पंजीयन की प्रक्रिया करीब 15-20 दिनों तक चलेगी. इसके बाद आपत्ति दर्ज की जाएगी. पश्चात मेरिट सूची जारी की जाएगी. अक्टूबर तक पहले चरण के प्रवेश की उम्मीद है नवंबर अंत तक सभी प्रवेश की उम्मीद की जा रही है.
पहले से ही हालत पतली
इंजीनियरिंग के प्रवेश भले ही तकनीकी शिक्षा विभाग द्वारा कराये जाते हैं लेकिन परीक्षा विवि प्रशासन द्वारा ली जाती है. फरवरी-मार्च से विवि द्वारा शीत सत्र परीक्षाएं ली जाती हैं. इस हालत में अंतिम चरण में प्रवेश लेने वाले छात्रों के पास पढ़ाई के लिए पर्याप्त समय भी नहीं रहेगा. कॉलेजों का कहना है कि परिणाम में देरी से प्रवेश पर सीधा असर पड़ेगा. विभाग में इंजीनियरिंग प्रथम वर्ष की करीब 15,000 सीटें उपलब्ध हैं जबकि सीईटी में शामिल होने वाले छात्रों की संख्या 20,000 के आस-पास थी. इनमें से कई छात्रों ने पारंपरिक पाठ्यक्रमों में प्रवेश ले लिया है.
वहीं अन्य विश्वविद्यालयों में प्रवेश ले चुके हैं जबकि कुछ छात्र पालीटेक्निक में प्रवेश पक्का करा चुके हैं. सीईटी के परिणाम के साथ ही नीट के भी परिणाम आएंगे. इसी बीच आईआईटी और एनआईटी में भी प्रवेश होंगे. इस हालत में राज्य के इंजीनियरिंग कॉलेजों के सामने छात्रों की कमी की समस्या निर्माण हो सकती है. वैसे भी इंजीनियरिंग में हर वर्ष सीटें खाली रहती हैं. प्रक्रिया में देरी से और हालत पतली हो सकती है. दूसरी ओर छात्र भी प्रवेश की प्रतीक्षा में अटके पड़े हैं.