Haridwar and Varanasi to connect Ganga Expressway, Purvanchal Expressway to Ballia
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    • शिर्डी तक जाना कब होगा साकार
    • शिंदे की डेडालइन दिसंबर

    नागपुर. महाराष्ट्र के नगर विकास, सार्वजनिक बांधकाम (सार्वजनिक उपक्रम) मंत्री एकनाथ शिंदे ने अगस्त माह में समृद्धि महामार्ग का दौरा कर दिसंबर तक कार्य पूर्ण करने का टारगेट दिया था. इसे पूरा करने के लिए एमएसआरडीसी के अधिकारी पूरी कोशिश कर रहे हैं लेकिन उनकी इस कोशिश को ठेकेदार पलीता लगा रहे हैं. साखकर नागपुर संभाग से जुड़े कार्य में उतनी प्रगति नहीं हो पा रही है जितनी की जरूरत है. दिसंबर का डेडलाइन को हासिल करना हो सकता है मुश्किल हो. सबसे ज्यादा खराब हालत स्टार्टिंग पॉइंट की ही है. अब तक स्टार्टिंग पॉइंट का आकार साकार नहीं हो पाया है.

    शिंदे ने दावा किया था कि समृद्धि महामार्ग का नागपुर से शिर्डी तक का काम दिसंबर 21 तक पूर्ण कर लिया जाएगा. ठाणे तक का काम दिसंबर 22 तक हो जाएगा. कोरोना के कारण कार्य में विलंब हुआ लेकिन अब स्थिति सामान्य है. अमरावती खंड में कार्य कुछ आगे बढ़ा है लेकिन इस खंड में भी कई फ्लाईओवर का बनना अभी भी बाकी है. सबसे ज्यादा हालत खराब वाशिम के आसपास की है. यहां की जमीन लेट मिली थी जिसके कारण कार्य भी विलंब से शुरू हुआ था. यही कारण है कि इसके आसपास की स्थिति अब भी दयनीय बनी हुई है.

    स्टार्टिंग पॉइंट में कार्य अधूरा

    आउटर रिंग रोड के पास जहां से समृद्धि महामार्ग शुरू हो रहा है, उसके आसपास ही अब तक कई कार्य बचे हुए देखे जा सकते हैं. कई फ्लाईओवर अभी तक आकार नहीं ले पाया है. सड़कों का निर्माण कार्य भी बाकी है. शेष कार्यों को लगभग 2 माह में कैसे पूर्ण किया जाएगा एमएसआरडीसी के वरिष्ठ अधिकारी ही बता सकेंगे. गडर को लाकर बिठाया भी गया तो उसके ऊपर का सड़क बनाने में काफी वक्त लगना तय है. यानी इस वर्ष के अंत तक कार्य पूर्ण होगा, इस पर अभी भी प्रश्न चिन्ह लग रहे हैं.

    मजदूर फिर हुए कम

    सूत्रों ने बताया कि दशहरा, दिवाली और छठ आने के कारण बहुतांश मजदूर अपने-अपने गांव चले गए हैं. मजदूरों के चले जाने से पुन: एक बार संकट खड़ा हो गया है. जानकारों की मानें तो मजदूरों के अभाव में निर्माण कार्य की गति काफी धीमी पड़ गई है. कुछ ठेकेदार की कार्यप्रणाली आरंभ से ही खराब रही थी, मंत्री ने भी सख्त कदम उठाने की बात कही थी लेकिन कार्रवाई नहीं हुई. आर्थिक दंड इनके लिए कोई मायने नहीं रखता. ऐसे में ठेकेदारों की मनमानी अब महामार्ग के विकास में सबसे बड़ा रोड़ा बनकर उभर रहा है. आरंभ में तो कोरोना का बहाना बनाया गया लेकिन अब दूसरे बहाने के बनाकर प्रोजेक्ट को विलंब किया जा रहा है.

    शेष है 15 किलोमीटर का लेंथ

    अगस्त माह में एंट्री पॉइंट से 15 किलोमीटर का पट्टा पूरी तरह से बचा हुआ था. नवंबर माह आने के बाद कुछ हिस्से में ही प्रगति देखने को मिल रही है. अभी भी एक बड़े पट्टे का काम होना शेष है. कुछ फ्लाईओवर निश्चित रूप से आकार लेते दिखाई दे रहे हैं. जो कार्य बचे हैं उसे बनाने के लिए बहुत मशक्कत करने की जरूरत होगी तभी डेडलाइन को हासिल किया जा सकेगा. अन्यथा एंट्री पॉइंट ही ग्रहण लगाने को बेताब दिखाई दे रहा है.