नागपुर. महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने माओवादी संबंध मामले में दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जी. एन. साईबाबा और अन्य को बरी करने के बारे में बंबई उच्च न्यायालय के आदेश को निलंबित करने संबंधी उच्चतम न्यायालय के फैसले का शनिवार को स्वागत किया। उच्चतम न्यायालय ने साईबाबा के इस अनुरोध को भी खारिज कर दिया कि उनकी शारीरिक अक्षमता और स्वास्थ्य स्थिति को देखते हुए उन्हें घर में नजरबंद किया जाए। पीठ ने मामले में साईबाबा समेत सभी आरोपियों की जेल से रिहाई पर रोक लगा दी।
बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ ने उन्हें जेल से रिहा करने का आदेश दिया था। फडणवीस ने नागपुर हवाई अड्डे पर पत्रकारों से कहा, ‘‘मैं प्रो. जी एन साईबाबा को लेकर उच्च न्यायालय के आदेश को निलंबित करने संबंधी शीर्ष अदालत के फैसले से संतुष्ट हूं। कल, मैंने कहा था कि उच्च न्यायालय का फैसला हमारे लिए आश्चर्यजनक और चौंकाने वाला था, क्योंकि तकनीकी आधार पर एक व्यक्ति को रिहा करना, जिसके खिलाफ सीधे माओवादियों की मदद करने के पर्याप्त सबूत थे, गलत था। इसलिए, हमने कल ही उच्चतम न्यायालय का रुख किया था।”
मैंने इस पर बहुत निराशा जताई थी कि टेक्निकल ग्राउंड पर इस प्रकार से समाज और देश विरोधी कार्रवाई करने वाले को छोड़ा जाना सही नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने हमारी बात सुनी। आगे एक कानूनी लड़ाई होगी, उसमे हम सारी बातें कोर्ट के सामने लाएंगे: महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस pic.twitter.com/PPLSTWUz1Y
— ANI_HindiNews (@AHindinews) October 15, 2022
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि वह शुक्रवार को पीठ बनाने के लिए शीर्ष अदालत के आभारी हैं और उच्च न्यायालय के आदेश को निलंबित कर दिया।
उन्होंने कहा, ‘‘हम आगे कानूनी लड़ाई लड़ेंगे।” उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के फैसले से नक्सलियों के हमले में शहीद हुए पुलिसकर्मियों के परिवारों को राहत मिलेगी। साईबाबा (52) अभी नागपुर केंद्रीय कारागार में बंद है। उन्हें मई 2014 में गिरफ्तार किया गया था। (एजेंसी)