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    नागपुर. कोरोना का प्रकोप कम होने के बाद अब प्रशासन ने नर्सरी से लेकर पहली तक स्कूल खोलने की अनुमति दे दी है. हालांकि स्कूलों में उपस्थिति बेहद कम है लेकिन पालकों को फीस जमा करने के लिए मैसेज आने लगे हैं. इतना ही नहीं, कई स्कूलों ने पूरी फीस नहीं जमा करने पर अगली क्लास में प्रमोट नहीं करने की भी चेतावनी दे दी है. यदि बच्चे स्कूल आना चाहें तो उन्हें नया यूनिफार्म भी अनिवार्य किया जा रहा है. अब करीब 20-25 दिन ही स्कूल लगेंगे. इस हालत में नया यूनिफार्म खरीदना पालकों के लिए महंगा साबित होगा.

    भले ही छात्र ऑनलाइन क्लासेस कर रहे थे लेकिन स्कूलों द्वारा नियमित रूप से शुल्क लिया जा रहा था. 15 मार्च से 10वीं बोर्ड की परीक्षा शुरू हो जाएंगी. इस हालत में जहां 10वीं तक की क्लासेस हैं वहां प्राइमरी की स्कूल लगना भी मुश्किल लग रहा है. इसके बावजूद स्कूलों द्वारा छात्रों को स्कूल भेजने के लिए कहा जा रहा है. बच्चे स्कूल आएंगे तो स्कूलों की फीस भी वसूल हो जाएगी. पालकों ने बताया कि उन्हें स्कूल से मैसेज आ रहे है कि पुरानी फीस भरें, अन्यथा बच्चे को अगली क्लास में प्रमोट नहीं किया जाएगा. स्कूलों ने फीस कम नहीं की है. यदि फीस नहीं भर सकते तो बच्चों का प्रवेश रद्द करने के लिए भी कहा जा रहा है.

    बस किराये में 30 फीसदी की वृद्धि 

    कई पालक चाहते हैं कि बच्चे कुछ ही दिनों के लिए ही सही, स्कूल चले जायें ताकि बौद्धिक क्षमता में वृद्धि हो सके लेकिन इसके लिए कई स्कूलों ने यूनिफार्म अनिवार्य कर दिया है. अब पालकों का कहना है कि बच्चों के यूनिफार्म संबंधित दूकानों में उपलब्ध नहीं हैं. नया यूनिफार्म बनाने में सप्ताहभर का समय लग जाएगा. इस हालत में बच्चे करीब 10-15 दिन ही स्कूल जा पाएंगे. यूनिफार्म की सख्ती हटाने की मांग कई पालकों ने की है. स्कूलों ने बस का किराया भी बढ़ा दिया है. कई स्कूलों ने किराये में 30 फीसदी तक वृद्धि की है. वहीं परीक्षा फीस सहित पुरानी फीस भरने के लिए भी सख्ती की जा रही है. इस संबंध में अब तक शिक्षा विभाग में अनेक पालकों की शिकायतें भी पहुंची हैं. पालकों का कहना है कि शुल्क में कुछ सहूलियत दी जानी चाहिए लेकिन स्कूल वाले सख्ती पर अड़े हैं.

    स्कूलों द्वारा शुल्क की सख्ती के बारे में गंभीरता से ध्यान देने और पालकों की समस्याओं का निराकरण करने के लिए शिक्षाधिकारी को निर्देश दिए गए हैं. आवश्यक होने पर कार्रवाई भी की जाएगी. .

    – डॉ. वैशाली जामदार, उप संचालक, शिक्षा विभाग