- याचिकाकर्ता शामिल नहीं, हाईकोर्ट ने दी राहत
नागपुर. खापरखेडा स्थित चिचोली के संताजी नागरी सहकारी पत संस्था में वित्तिय धांधली उजागर होने के बाद खापरखेडा पुलिस की ओर से संस्था सदस्य कुसुम आकोटकर एवं अन्य के खिलाफ एमपीआईडी के अंतर्गत मामला दर्ज किया. मामले में गिरफ्तारी से बचने के लिए सदस्य की ओर से हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया. जिस पर लंबी सुनवाई के बाद न्यायाधीश एम.जी. गिरटकर ने मामले में अन्य दोषी दिखाई देने तथा सदस्य का इससे संबंध नहीं होने का हवाला दिए जाने के बाद याचिकाकर्ता को अंतरिम जमानत प्रदान की. अदालत ने 25 हजार रु. के निजी मुचलके पर अंतरिम राहत देते हुए प्रत्येक रविवार को सुबह 10 से शाम 5 बजे के बीच पुलिस थाना में हाजिरी लगाने तथा जांच में सहयोग करने के आदेश भी याचिकाकर्ता को दिए. याचिकाकर्ता की ओर से अधि. संजय करमरकर और भूषण सचदेव ने पैरवी की.
उपाध्यक्ष ने परिजनों को बांटा कर्ज
अदालत ने आदेश में कहा कि निचली अदालत में जांच अधिकारी की ओर से जानकारी दी गई. जिसमें पत संस्था के कर्मचारी अनिल गुप्ता और विकास कांबले द्वारा वित्तिय गडबड़ी किए जाने का खुलासा किया गया है. जबकि याचिकाकर्ता पत संस्था में केवल सदस्य है. याचिकाकर्ताओं की ओर से संस्था के उपाध्यक्ष भैया जिभकाटे के खिलाफ सहकारी संस्था के असि. रजिस्ट्रार के पास शिकायत भी दर्ज की थी. जिसमें आरोप लगाया गया था कि जिभकाटे गत 25 वर्षों से उपाध्यक्ष के पद पर बने हुए हैं. यहां तक कि उन्होंने ही अपने परिजनों में बहु और पत्नी के नाम कर्ज वितरित किया है. मामला उजागर होने के बाद संस्था का आडिट किया गया.
कर्मचारी लिप्त होने का खुलासा
अदालत ने आदेश में कहा कि आडिट के बाद संस्था में 1,31,29,059 रु. की वित्तिय गडबडी होने का खुलासा हुआ. आडिट रिपोर्ट के अनुसार ही कर्मचारी के रूप में कार्यरत गुप्ता और कांबले ही इस गडबडी में सक्रिय रूप से शामिल होने का खुलासा भी किया गया. सुनवाई के दौरान अधि. करमरकर ने कहा कि याचिकाकर्ता का वित्तिय गडबडी से कोई भी संबंध नहीं है. यहां तक कि उनके द्वारा किसी को कर्ज भी नहीं दिया गया. इसके बावजूद पुलिस की ओर से इनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया. हालांकि जमानत के लिए निचली अदालत में अर्जी दायर की गई थी. लेकिन अर्जी ठुकराए जाने के कारण मजबूरन हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा है.