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प्रतीकात्मक तस्वीर

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    • 350 शाखाएं
    • 13,000 कर्मचारी 
    • 2,800 करोड़ का कारोबार प्रभावित

    नागपुर. यूएफबीए के बैनर तले बैंकों की सभी 9 यूनियनों ने 2 दिवसीय हड़ताल की घोषणा की है. पहले दिन गुरुवार को विदर्भभर में हड़ताल को अच्छा रिस्पांस मिला. 350 शाखाओं में कोई भी कामकाज नहीं हुआ और लगभग 13,000 कर्मचारी-अधिकारी काम पर नहीं गए. बैंक बंद रहने से एक दिन में ही लगभग 2,800 करोड़ रुपये का कारोबार प्रभावित हुआ. नागपुर में भी अधिकांश सरकारी बैंकों की शाखाओं में दिनभर ताला लटका रहा. 

    एनडीए सरकार की 2 राष्ट्रीयकृत बैंकों के निजीकरण और बैंकिंग विधेयक और नीतियों में संशोधन की पहल पर कर्मचारी अपना विरोध दर्शाने के लिए हड़ताल कर रहे हैं. 

    गुरुवार को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, किंग्सवे के सामने प्रदर्शन का आयोजन किया गया.  यूएफबीयू नागपुर चैप्टर के संयुक्त संयोजक सुरेश बोभाटे ने कहा कि बैंक कर्मचारी पिछले 3 दशकों से अपने खिलाफ हो रही साजिश को लेकर मजबूती से लड़ रहा है और इसी प्रक्रिया के माध्यम से अभी भी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और लोगों के महत्वपूर्ण हितों की रक्षा कर रहे हैं.

    महामारी की अवधि के दौरान यही सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक हैं जो ग्राहक सेवाएं दे रहे थे. यह आम लोगों के लिए भी एक जागृति का आह्वान है. एटक महाराष्ट्र के अध्यक्ष बीएनजे शर्मा, एनसीबीई के माधव पोफली, एआईबीओसी के राहुल गजभिये, एआईबीओए के विजय मेश्राम, आईएनबीओसी के नागेश दांडे ने भी सभा को संबोधित किया. ईएमबीईए के महासचिव जयवंत गुरवे ने सभा को सूचित किया कि सरकार का यह तर्क है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक अच्छा नहीं कर रहे हैं और इसलिए बेहतर दक्षता सुनिश्चित करने के लिए इन बैंकों का निजीकरण करना होगा. हम सभी निजी बैंकों की दक्षता जानते हैं जिनमें से कई कुप्रबंधन के कारण अतीत में विफल और बंद हो चुके हैं. दूसरी ओर, सार्वजनिक क्षेत्र के सभी बैंक अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं और पर्याप्त लाभ अर्जित कर रहे हैं.

    लगभग 600 कर्मी प्रदर्शन में शामिल हुए. चेंदिल अय्यर, विजय ठाकुर, दिलीप पोटले, श्रीकृष्ण चेण्ड्के, अशोक शेंडे, रमेश चौधरी, मोहम्मद इम्तियाज, चिन्मय कलोटी, हर्ष अग्रवाल, पल्लवी वरम्बे, इंदिरा तदास, रवि जोशी, एनएम रूदानी, दीप बर्वे, मयूरेश घांघरे, सना खान, स्मिता रंगारी, समीर शेंडे, आरपी राव, सारंग राऊत, संतोष रापतिवार, अरविंद गडीकर, सुरेश वासनिक, सुजाता लोकडे, सुषमा गजभिये, वैशाली विरुतकर, प्रकाश महरोलिया, पंकज अभ्यंकर, सुनील बेलखोडे, नरेंद्र बुजाडे, चांद बावने, नारायण उमरेडकर, रितेश गाडेकर, गोपाल पोकले बोंद्रे, नितिन पारोचे, मनीषा बोराडे, रूपाली पाल, निर कौर पाल, स्नेहल वानखेड़े, अश्विनी सोनकुसरे और ईएमबीईए और यूएफबीयू के कई सदस्य उपस्थित थे.

    निजी बैंकों में रही भीड़

    सरकारी बैंकों में हड़ताल के कारण निजी क्षेत्र के बैंकों में अच्छी खासी भीड़ देखने को मिली.  एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक जैसे निजी क्षेत्र के बैंकों में कामकाज सामान्य दिनों की तरह रहा. लोगों ने इन्हीं बैंकों का सहारा लिया और अपने-अपने काम किए. निजी क्षेत्र की अधिकांश शाखाओं में लोग सामान्य रूप से कामकाज करते हुए देखे गए. ग्राहकों की अच्छी खासी भीड़ थी लेकिन कर्मियों ने अपनी सेवाएं प्रदान की और भीड़ को नकदी निकासी से लेकर जमा, व्यापार लेन-देन, ऋण प्रक्रिया, चेक समाशोधन, खाता खोलने और व्यावसायिक लेन-देन तक सभी बैंकिंग सेवाएं करते हुए नजर आए.