Nagpur High Court
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नागपुर. देवलापार की गट ग्राम पंचायत, रामटेक पंचायत समिति की ओर से भले ही 10 लाख रुपए के लागत से सीमेंट रोड और अंडरग्राउंड ड्रेनेज का विकास करने का निर्णय लिया हो लेकिन गट ग्राम पंचायत को इसका अधिकार नहीं होने का हवाला देते हुए मनीष जवंजाल द्वारा हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई.

याचिका पर सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने जहां देवलपार गट ग्राम पंचायत, पंचायत समिति रामटेक, जिला परिषद और ब्लाक डेवलपमेंट अधिकारी को नोटिस जारी किया वहीं टेंडर की प्रक्रिया जारी रखने के आदेश दिए किंतु हाई कोर्ट के अगले आदेश तक कार्यादेश जारी नहीं करने के आदेश भी दिए. याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि वह ग्राम पंचायत को सदस्य है बाम्बे विलेज पंचायत एक्ट 1958 के शेड्यूल-3 और बाम्बे विलेज पंचायत रूल्स-2011 के अनुसार इस तरह के कार्यों को मंजूर कराने के अधिकार ग्राम सभा को हैं, न कि विलेज पंचायत को है.

ग्राम पंचायत ने पारित किया प्रस्ताव

याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि शेड्यूल-3 के 15वें मुद्दे में 5 लाख रुपए से अधिक की कोई भी सामग्री खरीदी या विकास संबंधी कार्य करने के लिए मंजूरी देने का अधिकार ग्राम सभा को दिया गया है. अदालत का मानना था कि भले ही याचिकाकर्ता की ओर से आपत्ति जताई जा रही हो लेकिन 31 अगस्त 2023 और 21 सितंबर 2023 को विलेज पंचायत की बैठक में इस संदर्भ में चर्चा हुई है. ग्राम पंचायत ने जिला परिषद को इसका प्रस्ताव भेजा था. प्रस्ताव के अनुसार जिला परिषद ने 24 नवंबर 2023 को ई-टेंडर मंगाने के निर्देश दिए थे. याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि इस मसले को लेकर जिला परिषद के सीईओ से सम्पर्क किया गया था किंतु किसी तरह का निर्णय नहीं लिया गया.

वैधानिक प्रावधानों के विपरीत निर्णय

दोनों पक्षों की दलीलों के बाद अदालत ने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता ने वैधानिक प्रावधानों को लेकर आपत्ति जताई है. वास्तविकता यह है कि ग्राम सभा की मंजूरी के बिना ही विलेज पंचायत ने टेंडर मंगाने का निर्णय लिया जो वैधानिक प्रावधानों के विपरीत है. सुनवाई के बाद अदालत ने प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया. साथ ही प्रतिवादियों को नोटिस देने में याचिकाकर्ता विफल होने पर याचिका खारिज करने के संकेत भी दिए. अदालत ने अगली सुनवाई को प्रतिवादियों को नोटिस दिए जाने की रसीद प्रस्तुत करने के आदेश भी दिए.