GST: अब पुलिस से शिकायत, मामला उजागर करते ही सदस्यता कर दी रद्द

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    नागपुर. मनपा की तरह घोटालों को लेकर नागपुर महानगरपालिका कर्मचारी सहकारी बैंक भी कई बार चर्चाओं में रही है. अब पुन: कम्प्यूटर कर्ज के नाम पर सदस्यों को दिए जाने वाले कर्ज में जीएसटी घोटाला होने का मामला उजागर करना एक संचालक राजेश गवरे को भारी पड़ गया है.

    हाल ही में हुई बैंक की सभा में पदाधिकारियों ने उनकी सदस्यता रद्द करने का प्रस्ताव ही पारित कर दिया. हालांकि इसके पुख्ता सबूत होने का हवाला देकर उन्होंने हर स्तर पर लड़ाई लड़ने, यहां तक कि कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की भी चेतावनी दी. इसकी पहल करते हुए अब पुलिस में लिखित शिकायत दर्ज की गई है जिसमें पूरे मामले की जांच करने की मांग उन्होंने की.

    बताया जाता है कि इस जीएसटी घोटाले को लेकर केंद्र के जीएसटी विभाग से शिकायत की गई थी. इसके जवाब में विभाग ने मामले की छानबीन के लिए संबंधित विभाग के पास शिकायत स्थानांतरित किए जाने की जानकारी गवरे को ई-मेल के जरिए दी. 

    अध्यक्ष के खिलाफ खोला मोर्चा

    कोतवाली पुलिस को दी गई लिखित शिकायत में उन्होंने कहा कि नागपुर महानगरपालिका कर्मचारी सहकारी बैंक के माध्यम से कई वर्षों से कम्प्यूटर कर्ज के वितरण में गड़बड़ी किए जाने का संदेह है. एक ही सदस्य को 5-5 कम्प्यूटर कर्ज तथा इसके लिए विशेष फर्म के कोटेशन पर कर्ज उपलब्ध कराया जा रहा है. इसकी जानकारी लेने पर जिन फर्म के कोटेशन लिए जा रहे हैं, वे बंद हैं. यहां तक कि उनका जीएसटी नंबर भी बंद हो चुका है. ऐसे में कम्प्यूटर खरीदी के नाम पर जो जीएसटी काटा जा रहा है, वह सरकार के पास नहीं बल्कि अन्य किसी के जेब में जा रहा है. अत: इस वित्तीय घोटाले की सघन जांच होनी चाहिए. शिकायत में न केवल कोटेशन देने वाली कम्पनियों के नाम शामिल किए गए बल्कि बैंक के अध्यक्ष का नाम भी दर्ज किय गया है. इन सभी के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग भी की. 

    बैंक को कोई नुकसान नहीं

    एक ओर जहां संचालक की ओर से पुलिस को शिकायत की गई, वहीं दूसरी ओर बैंक के अध्यक्ष नितिन झाडे ने किसी भी तरह की गड़बड़ी से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि मनपा के कर्मचारी बैंक के सदस्य हैं. उन्हें कर्ज दिया गया जिसकी वसूली उनके वेतन से हर माह नियमित रूप से होती है. यदि वे कम्प्यूटर खरीदने के लिए कर्ज मांगते हैं तो यह देना बैंक का काम है. उन्होंने कहा कि संबंधित कर्मचारी बाजार से जो कोटेशन लाकर प्रस्तुत करता है, उसे संबंधित शाखा अधिकारी द्वारा सत्यापित और अनुमोदित किया जाता है. जिस फर्म का कोटेशन है, वह जीएसटी का भुगतान करती है या नहीं, इससे बैंक का कोई संबंध नहीं है. जीएसटी ने हाल ही में बैंक को एक पत्र जारी किया है जिसके बाद से संबंधित फर्म के कोटेशन लेना बंद किया गया है.