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नागपुर. शहर विकास की मुख्य संस्था महानगर पालिका को सरकार से मिलने वाले जीएसटी के अनुदान को छोड़ दिया जाए तो सम्पत्ति कर विभाग ही आय का सबसे बड़ा स्रोत है. लेकिन गत कुछ वर्षों से विभाग वसूली में लगातार फिसड्डी साबित हो रहा है. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि केवल 2 वर्षों पूर्व 350 करोड़ तक के बकाया पर चल रही मनपा पर इस वित्तीय वर्ष के अंत में 750 करोड़ का बकाया है. इतनी भारी मात्रा में बकाया होने तथा वसूली के लिए पर्याप्त कर्मचारी नहीं होने के कारण वसूली अब सिरदर्द बन गई है. वर्तमान में सिटी में 6.50 लाख से अधिक की सम्पत्तियां हैं. जिसके अनुपात में कर्मचारी नहीं है.

इस तरह बढ़ती रहीं हैं अड़चनें

-टैक्स असेसमेंट मैनेजमेंट एप के लिए मनपा के टैक्स विभाग को राज्य का पहला पुरस्कार प्रदान किया गया है. विभाग प्रमुख का मानना है कि कुछ समय पहले तक घर-घर जाकर टैक्स वसूल किया जाता था. 

-तत्कालीन आयुक्त हार्डिकर के निर्देशों के बाद घर-घर जाकर टैक्स वसूली बंद कर दी गई. इसके बाद से लगातार बकाया का आंकड़ा बढ़ता गया. इस समस्या को सुलझाने के लिए टैक्स मैनेजमेंट एप तथा कियोस्क लगाए गए.

-यहां तक कि ऑनलाइन भुगतान का विकल्प भी लोगों को दिया गया, किंतु लोगों में टैक्स अदा करने की मानसिकता का अभाव दिखाई देता है. जिस तरह से बिजली बिल, मोबाइल बिल आदि की तरह ऑनलाइन पद्धति से समय पर भुगतान नहीं होता, तब तक इसका समाधान संभव नहीं है. 

इन विभागों पर 75 करोड़ बकाया

1)NADT : आईआरएस के लिए एनएडीटी में ट्रेनिंग होती है. इसके बाद ही आयकर विभाग में उच्च पदों पर नियुक्ति मिलती है. आलम यह है कि मनपा का एनएडीटी पर भी लंबे समय से बकाया है लेकिन भुगतान नहीं हो रहा है.

2)MIHAN :  मिहान पर भी लंबे समय से करोड़ों का टैक्स बकाया है. कई बार नोटिस भेजा गया. मिहान का मानना है कि स्पेशल प्रोजेक्ट होने के नाते सरकार की ओर से उन्हें छूट मिलनी चाहिए. मनपा का मानना है कि जब सरकार की ओर से स्पेशल प्रोजेक्ट घोषित होता है तो नियमों के अनुसार टैक्स में छूट का उल्लेख किया जाता है. किंतु इस तरह का कोई उल्लेख नहीं है. 

3)VNIT : विश्वेश्वरैय्या नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी जैसी केंद्रीय सरकारी संस्था पर भी टैक्स का बकाया है. इस तरह के कई सरकारी विभाग है जिन पर 75 करोड़ से अधिक का बकाया है.

कर्मचारियों का कमजोर बल

-490 मंजूर पद 

-296 पद ही भरे गए

-194 पद वर्षों से रिक्त

-100 कर्मचारी टैक्स विभाग के अन्य विभागों में कार्यरत

-30 कर्मचारी अन्य विभाग के टैक्स विभाग में कर रहे काम

-196 कर्मचारी ही वर्तमान में कार्यरत 

सेंट्रलाइज वर्किंग जरूरी

वर्तमान में टैक्स वसूली की जिम्मेदारी जोनल कार्यालयों पर और विशेष रूप से सहायक आयुक्तों पर है. विकेंद्रीकरण होने के कारण टैक्स विभाग को मुख्यालय में है, लेकिन वसूली के लिए जोनल कार्यालयों पर निर्भर है. जहां पर निरंतर मॉनिटरिंग नहीं होने के कारण वसूली बढ़ती जा रही है. यदि सेंट्रलाइज वर्किंग हो तो बकाया नियंत्रण में लाया जा सकता है. 

-मिलिंद मेश्राम, उपायुक्त, मनपा