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    • 14,000 से अधिक डिमांड किए रद्द
    • 28 करोड़ से अधिक की थीं रसीदें

    नागपुर. सम्पत्तिधारकों को भेजे जा रहे अनाप-शनाप डिमांड और नियमों को ताक पर रखकर मनपा के सम्पत्ति कर विभाग की चल रही कार्यप्रणाली को लेकर वर्ष 2001 में याचिका दायर की गई थी. इस पर दिए गए आदेशों के अनुसार मनपा आयुक्त को 143 पन्नों का ज्ञापन सौंपा गया. लेकिन इस पर किसी तरह का निर्णय नहीं लिए जाने तथा कर विभाग में बदस्तूर जारी गड़बड़ी को लेकर अब पुन: नागपुर महानगरपालिका घर टैक्स तक्रार निवारण सोसाइटी के सचिव शंकर गुलानी की ओर से हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई. याचिका पर सुनवाई के दौरान मनपा की ओर से शपथपत्र दायर करने के लिए समय देने का अनुरोध किया गया. सुनवाई के बाद अदालत ने मनपा को 3 सप्ताह का समय प्रदान कर सुनवाई टाल दी. मनपा की ओर से अधि. जैमीनी कासट ने पैरवी की.

    नहीं रखे जा रहे बहीखाते

    याचिकाकर्ता की ओर से याचिका में बताया गया कि सम्पत्ति कर के जारी किए जा रहे डिमांड और बहीखाते ठीक से नहीं रखे जा रहे हैं. इसका उदाहरण उस समय उजागर हुआ जब विभाग की ओर से वर्ष 2016 तक के 28.56 करोड़ के 14 हजार से अधिक रसीदों को रद्द कर दिया गया. आश्चर्यजनक यह है कि मनपा की ओर से वसूले गए सम्पत्ति कर के कई खातों की जानकारी नहीं होने से 1.17 करोड़ रु. कई वर्षों से सस्पेंशन अकाउंट में पड़े हैं जिसका निर्धारण तक नहीं हो पाया है. आलम यह है कि मनपा की बेतरतीब कार्यप्रणाली के चलते सम्पत्तिधारकों को कई बार दो-दो डिमांड जारी हो रहे हैं. जबकि सम्पत्तिधारकों के पहले के कई रिकार्ड भी खत्म हो चुके हैं.

    एक सम्पत्ति, डबल डिमांड

    -याचिकाकर्ता की ओर से उदाहरण देते हुए याचिका में बताया गया कि वार्ड क्रमांक-57 (टैक्स विभाग के अनुसार वार्ड) के घर क्रमांक 4146/सी/11 के सम्पत्तिधारक सीमा तोतलानी को विभाग की ओर से 2 डिमांड जारी किए गए. 

    -25 अक्टूबर 2016 को दिए गए पहले डिमांड में वर्ष 2009 से 2016 तक के लिए 12,101 रु. का बकाया दिखाया गया. जबकि इसी सम्पत्तिधारक को 2 जुलाई 2015 को दिए गए डिमांड में 10,884 रु. का बकाया दिखाया गया है. 

    -याचिकाकर्ता ने आरटीआई एक्ट की धारा 4 (2) के अंतर्गत समय-समय पर मनपा की वेबसाइट और समाचार पत्रों के माध्यम से सम्पत्ति कर की जानकारी प्रकाशित करने की मांग की. 

    -मनपा की कार्यप्रणाली का परीक्षण करने तथा पारदर्शिता की दृष्टि से एनआईसी के डीजी को आदेश देने का अनुरोध भी किया गया. साथ ही अकाउंटेंट जनरल को मनपा कानून की धारा 108 के अनुसार पूरे अकाउंट का विशेष ऑडिट करने के आदेश देने का भी अनुरोध किया गया.