Nagpur High Court
File Photo

Loading

नागपुर. हाई कोर्ट ने 28 अप्रैल 2022 को आदेश जारी कर याचिकाकर्ताओं को प्रति माह 75,000 रुपए का भुगतान करने के आदेश राज्य सरकार के शिक्षा विभाग को दिए थे. आदेश के बाद विभाग ने अप्रैल और मई माह में तो भुगतान  किया किंतु उसके बाद से वह बंद कर दिया. इस तरह से अदालत के आदेश की अवमानना होने के कारण हाई कोर्ट में पुन: याचिका दायर की गई.

याचिका पर सुनवाई के बाद न्यायाधीश विनय जोशी और न्यायाधीश भरत देशपांडे ने आदेश दिया कि यदि सुप्रीम कोर्ट से किसी तरह की राहत नहीं मिलती है और निधि जमा नहीं की जाती है तो हाई कोर्ट द्वारा पहले दिए गए आदेश के अनुसार शिक्षा सचिव को अदालत में हाजिर होना होगा. याचिकाकर्ता की अधि. आनंद परचुरे और सरकार की वरिष्ठ अधि. आनंद जायसवाल, अधि. कल्याणी देशपांडे ने पैरवी की. 

सरकार की पहल का कड़ा विरोध

सरकार की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने कहा कि हाई कोर्ट द्वारा भुगतान के लिए दिए गए आदेश को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है जिस पर 5 अप्रैल को सुनवाई होने जा रही है. इससे मामले को स्थगित रखने का अनुरोध अदालत से किया गया. सुनवाई के दौरान सरकार की पहल का कड़ा विरोध करते हुए अधि. परचुरे ने सरकारी अधिकारियों द्वारा हाई कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किए जाने पर आपत्ति दर्ज की. सुनवाई के दौरान उन्होंने कहा कि याचिका पर हाई कोर्ट की ओर से आदेश दिए गए. आदेश का पालन नहीं होने पर अवमानना याचिका दायर की गई. इस पर भी हाई कोर्ट ने आदेश दिए किंतु किसी भी आदेश का पालन नहीं करने की अधिकारियों ने ठान ली है.

कई शिक्षकों को किया निलंबित

सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि अवमानना याचिका पर सुनवाई के बाद 15 मार्च को अदालत ने कुछ आदेश दिए थे किंतु इसके विपरीत संबंधित अधिकारियों ने कुछ शिक्षकों को निलंबित कर दिया है. गत 7 माह से 100 से अधिक शिक्षक बिना वेतन हैं जिन्होंने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. यहां तक कि उन्हें हाई कोर्ट से राहत भी मिली लेकिन अब अधिकारी उसका पालन करने से कतरा रहे हैं.

याचिकाकर्ता कोई आरामदायक जीवनयापन करने के लिए नहीं बल्कि दैनिक जीवनयापन के लिए राहत मांग रहे हैं. सुनवाई के बाद अदालत ने उक्त आदेश जारी किया. अदालत को बताया गया कि 4 वर्षों से भुगतान नहीं होने के कारण मानसिक त्रासदी से गुजर रहे हैं. यहां तक कि एक शिक्षक ने आत्महत्या तक कर ली जिसे गंभीरता से लेते हुए अदालत ने याचिकाकर्ताओं को भुगतान करने के आदेश दिए थे जिसका पालन नहीं होने पर अब अवमानना की याचिका दायर की गई है.