ISI हनी ट्रैप: जानबूझकर खुफिया जानकारी भेजने के सबूत नहीं, हाई कोर्ट ने दी जमानत

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नागपुर. पाकिस्तानी खुफिया एजेन्सी आईएसआई को ब्रह्मोस मिसाइल से संबंधित जानकारी लीक करने के मामले में एटीएस की ओर से निशांत अग्रवाल को गिरफ्तार किया गया था. वर्ष 2018 में गिरफ्तारी के बाद गत वर्ष ही उसकी जमानत की अर्जी ठुकराई गई थी. किंतु अब पुन: जमानत के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया. इस पर लंबी सुनवाई के बाद याचिकाकर्ता द्वारा जानबूझकर खुफिया जानकारी भेजने के सबूत नहीं होने का हवाला देते हुए न्यायाधीश अनिल किल्लोर ने जमानत प्रदान की. याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधि. एस.वी. मनोहर, अधि. डी.वी. चौहान और सरकार की ओर से सहायक सरकारी वकील ठाकरे ने पैरवी की. उल्लेखनीय है कि फेसबुक के माध्यम से ब्रह्मोस इंजीनियर हनीट्रैप में फंस गया था. 17 जून 2022 को भी जमानत अर्जी ठुकराई गई थी. निचली अदालत में मामले की सुनवाई आगे नहीं बढ़ने पर पुन: हाई कोर्ट आने की स्वतंत्रता प्रदान की थी.

UP के गवाह, बयान दर्ज करने में देरी

बचाव पक्ष की ओर से अदालत को बताया गया कि 6 माह का समय मिलने के बाद अभियोजन पक्ष की ओर से निचली अदालत में सुनवाई को गति देना था. किंतु मामले की सुनवाई काफी धीमी गति से चल रही है. निकट भविष्य में सुनवाई खत्म होने की संभावना नहीं है. इस मामले में अब तक 6 गवाहों के बयान दर्ज किए गए हैं. जबकि 11 गवाहों के बयान दर्ज किया जाना बाकी है. चूंकि गवाह यूपी से है, अत: गवाहों के बयान दर्ज करने हर समय एक माह तक के लिए सुनवाई स्थगित हो रही है. याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि यदि एफआईआर पर भी गौर किया जाए तो ऑफिसियल सीक्रेट एक्ट 1923 की धारा 3 लागू नहीं होती है. अधिक से अधिक धारा 5 के तहत मामला बनता है. इस धारा के तहत अधिक से अधिक 3 वर्ष की सजा का प्रावधान है जबकि अभियुक्त को गत 4 वर्ष से अधिक समय से जेल में रखा जा रहा है.

लैपटॉप में लीक हुईं खुफिया फाइलें

अभियोजन पक्ष के अनुसार निशांत को गिरफ्तार करने के बाद एटीएस की ओर से चार्जशीट भी दायर की गई. जिसमें बताया गया कि निशांत के लैपटॉप और हार्डडिस्क का गहन जांच की गई. लैपटॉप में खुफिया और प्रतिबंधित रिकार्ड पाया गया था. इस तरह की 19 फाइल्स निशांत के लैपटॉप में थी. आश्चर्यजनक यह है कि उसने लैपटॉप में एक साफ्टवेअर डाल रखा था. साफ्टवेयर के जरिए लैपटॉप से खुफिया और गंभीर विस्तृत जानकारी विदेशों में बैठे आतंकी संगठनों को मिल जाती थी. प्राथमिक स्तर पर पाया गया कि 4,47,734 कैच फाइल्स इस लैपटॉप और हार्डडिस्क से लीक हुई है. अभियोजन पक्ष के अनुसार याचिकाकर्ता ने ही सुफिया और प्रतिबंधित रिकार्ड लीक किया है. जिसके अनुसार उसके खिलाफ मामला दर्ज किया गया. मामला काफी गंभीर होने से अभियुक्त को जमानत नहीं देने की मांग सरकारी पक्ष की ओर से की गई.