Court approves sacking of 12 Manpa employees, High Court validates Munde's decision
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    नागपुर. काछीपुरा में खेल मैदान के लिए आरक्षित जमीन पर निर्मित किए गए धार्मिक स्थल को हटाने की मांग करते हुए न्यू रामदासपेठ काछीपुरा नागरिक मंडल ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. याचिका पर सुनवाई के दौरान मनपा ने बताया कि अदालत के आदेश के अनुसार आपत्तियां मंगाने के लिए धार्मिक स्थल पर बोर्ड लगा दिया है. यहां तक कि बोर्ड लगाते ही एक आपत्ति भी मनपा को प्राप्त हुई है. इस पर फैसला लेने के लिए समय देने का अनुरोध किए जाने के बाद न्यायाधीश सुनील शुक्रे और न्यायाधीश अनिल पानसरे ने 2 सप्ताह का समय देकर सुनवाई स्थगित कर दी. विशेषत: हाई कोर्ट ने इसके कुछ समय पहले ही इस धार्मिक स्थल पर क्या किसी व्यक्ति या संस्था द्वारा अधिकार जताया गया, इसकी जानकारी प्रेषित करने के आदेश मनपा को दिए थे.

    राज्य सरकार को भेजा है वर्गीकरण का प्रस्ताव

    उल्लेखनीय है कि सर्वोच्च न्यायालय की ओर से अनधिकृत धार्मिक स्थलों को हटाने के आदेश दिए जाने के बाद मनपा ने शहर के सभी धार्मिक स्थलों का वर्गीकरण किया था. वर्गीकरण के अनुसार ‘अ’ वर्ग के धार्मिक स्थलों को हटाने पर पाबंदी थी, जबकि ‘ब’ वर्ग के धार्मिक स्थलों को हटाने की प्रक्रिया पूरी करनी थी. कार्रवाई के दौरान कुछ विवाद होने पर कमेटी की ओर से सूची को पुन: सुधारा गया जिसमें इस धार्मिक स्थल को ‘ब’ वर्ग से ‘अ’ वर्ग में रखा गया. बुधवार को सुनवाई के दौरान मनपा ने बताया कि इसे लेकर राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है जिस पर अदालत ने अगली सुनवाई को संज्ञान लेने के संकेत दिए. गत सुनवाई में अदालत ने आदेश में कहा कि कार्रवाई से पहले मनपा नोटिस जारी कर अनधिकृत निर्माण हटाने के लिए कार्रवाई की सूचना उजागर करे. इसके उपरांत यदि किसी व्यक्ति को आपत्ति हो तो वह मनपा के पास अपनी आपत्ति दर्ज करा सकता है. 

    30 अगस्त 2019 को जारी किया था नोटिस

    -हाई कोर्ट में पहली बार 30 अगस्त 2019 को याचिका पर सुनवाई हुई जिसमें प्रतिवादी पक्ष को नोटिस जारी कर जवाब दायर करने के आदेश दिए.

    -8 नवंबर 2019 को दोनों पक्षों की सहमति से 2 सप्ताह के लिए सुनवाई टाल दी गई.

    -12 दिसंबर 2019 को पुन: दोनों पक्षों की सहमति से क्रिसमस के अवकाश तक के लिए सुनवाई टल गई.

    -17 दिसंबर 2019 को मामला सुनवाई के लिए आया. 

    -13 जनवरी 2020 तक सुनवाई टल गई.

    -8 जनवरी 2020 को सुनवाई के लिए रखा गया किंतु फिर दोनों पक्षों की सहमति से 15 जनवरी को मामला रखा गया.

    -15 जनवरी 2020 को फिर दोनों पक्षों की सहमति से 4 सप्ताह के लिए सुनवाई टाल दी गई.

    -10 मार्च 2021 को उक्त आदेश दिए गए थे. 

    -1 दिसंबर 2021 को मनपा ने फिर मांगा समय.