Nagpur Vidhan Bhavan

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    नागपुर. शीतकालीन अधिवेशन में सरकार द्वारा कुल 15 विधेयक मंजूरी के लिए रखे जिससे 12 विधेयक तो दोनों सदनों में पास हो गए लेकिन तीन विधेयक विधान परिषद में प्रलंबित रखा गया. इसमें महाराष्ट्र लोकायुक्त विधेयक, महाराष्ट्र कामगार कायदे संशोधन विधेयक और स्वयं अर्थसहाय्यित विद्यापीठ संशोधन विधेयक का समावेश है.

    हालांकि तीनों विधेयक विधानसभा में मंजूर कर लिये गए हैं. महाराष्ट्र लोकायुक्त विधेयक पर जब विप में मंजूरी के लिए मंत्री दीपक केसरकर द्वारा रखा गया तो सदस्यों ने इस पर चर्चा की मांग की. सदस्यों का कहना था कि पहले इस विधेयक को संयुक्त चिकित्सा समिति को भेजा जाए लेकिन उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने सभापति से आग्रह किया कि समिति को न भेजते हुए विपक्ष से चर्चा कर निर्णय लेंगे. सभापति ने उक्त विधेयक को प्रलंबित रखने का निर्णय लिया. स्वयं अर्थसहाय्यित बिल को भी प्रलंबित रखा गया.

    कामगार बिल पर भी आक्षेप

    मंत्री सुरेश खाडे ने जब महाराष्ट्र कामगार संशोधन बिल रखा तो सचिन अहिर ने विरोध किया. उन्होंने कहा कि कानून में कामगारों का शोषण करने वालों पर जेल की सजा का प्रावधान निकाल कर दंड की राशि बढ़ाने का प्रावधान है इससे खौफ ही खत्म हो जाएगा और कामगारों पर अन्याय बढ़ेगा. जयंत पाटिल व अन्य विपक्षी सदस्यों ने भी बिल में किये गए नये प्रावधानों पर विस्तृत चर्चा की मांग की.

    डीसीएम देवेन्द्र फडणवीस ने कहा कि देशभर के राज्यों में 6 से 2 वर्ष तक की सजा का प्रावधान है. सभी बेलेबल हैं. राज्य में 7,000 मामलों में एक भी सजा नहीं हो सकी. इसलिए संशोधन कर जुर्माना की राशि बढ़ाने का निर्णय लिया गया है. सभापति ने लेकिन सदस्यों की भावनाओं को देखते हुए विधेयक पर चर्चा के लिए प्रलंबित रखने का निर्णय किया.