ST स्टैंड को ही बना दो बसपोर्ट, निजी ट्रैवल्स की समस्या भी हो जाएगी खत्म

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नागपुर . सिटी से बाहर जाने वाली हर सड़क अवैध बस स्टैंड बन गई है. निजी ट्रैवल्स की बसें तो दर्जनभर से अधिक जगहों से संचालित हो रही हैं. हालत यह है कि कहीं भी सड़कों पर बसों को खड़ी कर सवारियां भरने व उतारने का काम चल रहा है जिससे सिटी की ट्रैफिक व्यवस्था बुरी तरह चरमरा रही है. अब तो डीसीएम देवेंद्र फडणवीस के मानद सचिव संदीप जोशी ने भी इस अव्यवस्था से परेशान होकर सड़क पर खड़ी बसों का परमिट व लाइसेंस रद्द करने के निर्देश दिए हैं.

राज्य सरकार द्वारा कुछ ही दिन पूर्व नागपुर में बसपोर्ट निर्माण के लिए जमीन देखने का निर्देश विभाग के अधिकारियों को दिया गया है. इसके लिए तो सिटी के बाहर ही जाना पड़ेगा और यात्रियों की दिक्कतें और बढ़ेंगी. एसटी स्टैंड गणेशपेठ सिटी के मध्य में स्थित है और रेलवे स्टेशन से भी पास है. यहां जगह की कमी नहीं है.

बगल में डिपो की भी भरपूर जमीन है जिसका उपयोग हो सकता है, इसलिए बसपोर्ट इसी स्थान पर ही बनना चाहिए. यहीं से एयरपोर्ट की तर्ज पर निजी ट्रैवल्स संचालकों को भी बसें संचालित करने के लिए जगह दी जानी चाहिए. उनसे इसके लिए निर्धारित शुल्क वसूला जा सकता है जैसा कि एयरपोर्ट अथॉरिटी निजी विमानों से वसूल करती है. इससे एसटी महामंडल की आय भी बढ़ेगी और स्पर्धा के चलते एसटी बसों की सेवा में भी सुधार आएगा. 

सपना तेजी से हो सकता है साकार

गणेशपेठ बस स्टैंड को भी सर्वसुविधायुक्त बनाने के लिए कार्य किए जा रहे हैं. थमे कार्यों को गति देने का निर्देश भी दिया गया है. इलेक्ट्रिक बसों के लिए यहां चार्जिंग स्टेशन भी बनाया जाएगा. एयरपोर्ट की तर्ज पर बसपोर्ट बनाने की घोषणा तो वर्षों से आला नेता कर रहे हैं और सपना दिखाया जा रहा है. जमीन खोजने की बजाय गणेशपेठ में ही इसे साकार करने पर कार्य किया गया तो सपना तेजी से पूरा हो सकता है.

 

बताते चलें कि नागपुर से विविध शहरों व राज्यों के लिए निजी बसें चलती हैं. करीब 300-400 बसें पुणे, मुंबई, औरंगाबाद, नाशिक, हैदराबाद, बेंगलुरु, जबलपुर, रायपुर, बिलासपुर, जगदलपुर, प्रयागराज, वाराणसी सहित विदर्भ व राज्यभर के शहरों के लिए निकलती हैं. इन बसों के लिए एक स्वतंत्र सर्वसुविधायुक्त बस स्टैंड की सुविधा नहीं होने के कारण शहर के अलग-अलग जगहों से ट्रैवल्स संचालक बसों की रवानगी करते हैं. यात्रियों को भी इससे असुविधा होती है.

 

सड़कों होता है कब्जा

आग्याराम देवी मंदिर के सामने वाली रोड हो या फिर एसटी स्टैंड चौक से मोक्षधाम की ओर जाने वाली सड़क, यहां से निजी ट्रैवल्स संचालित हो रही हैं. बैद्यनाथ चौक पर तिब्बती बाजार के बगल वाली जमीन पर बसों की पार्किंग की सुविधा दी गई है. यहां से भी बसें छोड़ी जाती हैं. इस चौराहे से इमामवाड़ा पुलिस थाने की ओर जाने वाली सड़क पर स्थित कुछ ट्रैवल्स वाले अपने कार्यालयों के सामने रोड पर बसें खड़ी कर सवारियां भरते हैं. इससे ट्रैफिक की हालत बिगड़ती है.

वहीं रायपुर, बिलासपुर, प्रयागराज, वाराणसी, जबलपुर, भोपाल, इंदौर आदि के लिए बसें पकड़नी हो तो लोगों को सीए रोड पर गीतांजलि चौक जाना पड़ता है. यहां भी गलियों व सड़क पर बसें खड़ी कर सवारियां भरी जाती हैं. अमरावती रोड पर भोले पेट्रोल पंप और हॉकी ग्राउंड के सामने से बसें संचालित की जा रही हैं. लगभग सिटी से बाहर जाने वाली सभी सड़कों से निजी ट्रैवल्स संचालित हो रही हैं क्योंकि उनके लिए सेपरेट बस स्टैंड नहीं है.

ईंधन व समय की बर्बादी

निजी बसों की पार्किंग के लिए सिटी में कई जगह व्यवस्था हुई है. जगनाड़े चौक स्थित एनआईटी कॉम्प्लेक्स में ट्रांसपोर्ट प्लाजा बनाया गया है लेकिन वहां 30-40 बसों से अधिक की क्षमता नहीं है. बैद्यनाथ चौक पर तिब्बती बाजार के बगल में मैदान पर बसें पार्क की जाती हैं. आग्याराम देवी मंदिर के समीप के मैदान में कुछ बसें खड़ी की जाती हैं.

कामठी रोड में ऑटोमोटिव चौक के समीप मैदान पर बसों को रखने की व्यवस्था है. इस तरह कुछ बस संचालकों ने निजी जगहों पर भी बसों की पार्किंग की व्यवस्था कर रखी है. जब उन्हें सवारियां भरनी होती हैं तो शहर में कई जगहों पर स्थित ट्रैवल्स एजेंसियों के कार्यालयों तक बसों का भ्रमण कराना पड़ता है. इससे ईंधन, समय भी बर्बाद होता है. अगर बसपोर्ट साकार हुआ तो एक ही जगह से सारी बसें संचालित हो पाएंगी व यात्रियों को भी सहूलियत होगी.