Vikas Thakre on Railway Line

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    नागपुर. इटारसी लाइन पर तीसरी रेल लाइन निर्मित करने के लिए मध्य रेल विभाग की ओर से प्रक्रिया शुरू की गई. किंतु रेलवे की जमीन पर कई बस्तियों के मकान आने के कारण अब तक मामला टलता रहा है. अब विभाग की ओर से इन सम्पत्तिधारकों को नोटिस जारी कर तुरंत जगह खाली कराने की हिदायत दी गई. नोटिस के बावजूद जगह खाली नहीं होने पर शुक्रवार को रेल विभाग दलबल के साथ यहां पहुंच गया.

    मानकापुर के पास उस समय कुछ देर के लिए तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई, जब कार्रवाई की भनक लगते ही विधायक विकास ठाकरे, प्रमोद ठाकुर सहित कई कार्यकर्ता घटनास्थल पर पहुंच गए. इसके अलावा राकां नेता वेद प्रकाश आर्य भी कार्यकर्ताओं को लेकर यहां पहुंचे. जहां अधिकारियों के साथ हुई लंबी चर्चा के बाद कार्रवाई तो स्थगित हो गई, किंतु अधिकारियों ने जल्द इसका विकल्प ढूंढकर जगह खाली कराने की सूचना पीड़ितों और नेताओं को भी दी. 

    क्या सो रही थी रेलवे?

    विधायक विकास ठाकरे ने कहा कि रेल विभाग द्वारा किए जा रहे विकास का विरोध नहीं है. किंतु पुराना जरीपटका, महात्मा फुले झोपड़पट्टी और अन्य बस्तियां लगभग 40 वर्षों से यहां बसी हुई है. महानगरपालिका की ओर से यहां जलापूर्ति की व्यवस्था की गई. इसके अलावा बिजली विभाग की ओर से लोगों को बिजली मुहैया कराई गई. रेल विभाग को अपनी जमीन की पहले से सुरक्षा करनी चाहिए थी.

    यदि इन लोगों को बिजली, पानी नहीं मिलता तो लोग यहां बसते ही नहीं. इतने दिनों तक रेल विभाग सो रहा था अब अचानक इन लोगों का आशियाना उजाड़ा जा रहा है. लोगों के साथ एक तरह से अन्याय हो रहा है. किसी प्रकल्प के लिए यदि सरकार को जमीन की आवश्यकता हो तो वह ले सकती है. किंतु लोगों का भी उन्हें ध्यान रखना होगा. इस तरह से सैंकड़ों परिवार सड़क पर आ जाएंगे. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के माध्यम से क्या मदद हो सकती है इस पर विचार कर तुरंत निर्णय लिया जाएगा.

    पहले पुनर्वसन बाद में अधिग्रहण

    कार्रवाई का विरोध कर रहे पूर्व पार्षद वेदप्रकाश आर्य ने कहा कि जिन बस्तियों के घर जाने है, वह सरकार के निर्णय के अनुसार नोटिफाइड स्लम है. अत: कानून और नियमों के अनुसार जमीन से इन लोगों को बेदखल करने से पहले इनका पुनर्वसन करना होगा. जिसके बाद ही अधिग्रहण किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि जब तक लोगों का पुनर्वसन नहीं किया जाता, तब तक लोगों को हटाने का विरोध जारी रहेगा. चर्चा के दौरान रेलवे के अधिकारियों का मानना था कि इस संदर्भ में न्यायिक मामला विचाराधीन है. जहां 10 अप्रैल को अदालत में हलफनामा दायर करना है. यदि 9 अप्रैल तक सम्पत्तिधारक स्वयं कोई हल नहीं निकालते है तो उनका बिजली और पानी बंद कर दिया जाएगा.