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    नागपुर. मिहान सेज को लेकर कई समस्याएं हैं. इन समस्याओं का निदान जितना जल्द होगा, मिहान को गति पकड़ने में उतनी मदद मिलेगी. केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने 1 जुलाई को पहल की थी और बैठक में मुख्य सचिव से लेकर तमाम संबंधित अधिकारियों को बुलाया था. किसी कारणवश बैठक नहीं हो पाई और इसे स्थगित किया गया. बैठक के आयोजन से कई लोगों में नई आशा की किरणें जाग गई थीं लेकिन ऐसे लोगों को अब खासी निराशा हाथ लग रही है.

    1 जुलाई को होने वाली बैठक के लिए काफी अध्ययन भी किया गया था. इसके लिए एजेंडा भी काफी स्पष्ट था. सबसे बड़ा एजेंडा मिहान को एमएडीसी के चुंगल से अलग करना था. एजेंडे में स्पष्ट लिखा गया था कि एमएडीसी के अंतर्गत मिहान के रहते तरक्की होना मुश्किल है. यह भी माना गया था कि अब तक की रुकावट की वजह भी यही है. मिहान को अलग कर अलग से अथॉरिटी बनाया जाए ताकि अधिकारी और कर्मचारी नागपुर में रहें. नागपुर में रहकर विकास को गति देना संभव हो सकेगा. 

    इस संबंध में उद्योग और व्यापार जगत कई बार गडकरी से समक्ष मांग भी रख चुके हैं. इनका कहना है कि मुंबई में बैठे अधिकारियों के लिए मिहान प्राथमिकता नहीं रह गया है. एमएडीसी के वरिष्ठ अधिकारी राज्य के एयरपोर्ट विकास में ही व्यस्त हैं. ऐसे में मिहान लावारिस हो गया है. मिहान को एक जवाबदार वारिश की जरूरत है. 

    जमीन लेते हैं इकाई नहीं लगाते

    अधिकारियों की निगरानी के अभाव में देखा जा रहा है कि मिहान में बड़ी-बड़ी कंपनियां जमीन ले रही हैं. कुछ तो सैकड़ों एकड़ में जमीन ले रखी हैं लेकिन 10-10 वर्ष होने के बाद भी कामकाज शुरू नहीं कर पाईं हैं. इसी प्रकार पिछले 4-5 वर्ष पूर्व जमीन लेने वाली कंपनियां भी गायब हैं. इन्हें केवल नोटिस जारी किया जाता है, नोटिस के बाद चुप्पी साध ली जाती है. मिहान का हश्र बूटीबोरी की तरह होते जा रहा है. बूटीबोरी कहने को एशिया का सबसे बड़ा औद्योगिक क्षेत्र है लेकिन उद्योग लगने के मामले में राज्य में सबसे पिछड़ा औद्योगिक क्षेत्र रह गया है.

    सरकार बदली, प्राथमिकताएं भी

    सरकार बदलते ही प्राथमिकताएं बदल गई हैं. मुख्यमंत्री के वार रूम में हुई बैठक में भी ‘मिहान’ पर कोई चर्चा नहीं की गई. ऐसे में उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से भी स्थानीय जनता की उम्मीदें काफी बढ़ गई है. वे चाहते हैं कि अन्य प्रोजेक्ट की तरह ही मिहान को गति देने के लिए बैठकों में विचार-विमर्श हो और समस्याओं का निदान निकाला जाए. 

    बुनियादी सुविधाओं का अभाव

    मिहान की आईटी कंपनियों सहित अन्य जगह पर हजारों की संख्या में युवा-युवती काम कर रहे हैं लेकिन इनके लिए बुनियादी सुविधाएं तक विकसित नहीं की जा सकती है. परिसर में कैंटीन नहीं है. कैंटीन के अभाव में युवाओं को दूर-दराज तक जाना पड़ता है. परिवहन सेवा के लिए भी कोई ठोक कार्य योजना नहीं है. अपने वाहनों से ही इन्हें आना-जाना करना पड़ता है. इसी प्रकार डब्ल्यू बिल्डिंग की हालत देखी जा सकती है. एमएडीसी का कार्यालय होने के बाद भी साफ-सफाई एवं अन्य सुविधाओं का घोर अभाव है. कचरे को बिल्डिंग के पीछे ही डंप किया जाता है. 

    सेज में तबलों का बोलबाला

    मिहान की सुरक्षा के लिए बड़े पैमाने पर निजी गार्ड नियुक्त किए गए हैं. हर गेट में गार्ड तैनात है. आश्चर्य की बात यह है कि इसके बाद भी तबेलों की भरमार है. कई तबेलों में सैकड़ों गाय-भैंस पाले जा रहे हैं और इन्हें खुले में छोड़ दिया जाता है, जिससे निवेशकों पर प्रतिकूल असर होता है.