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    • मुख्य प्रवेश द्वार पर गंदगी का आलम 
    • अंदर में गाय-भैंसों का साम्राज्य

    नागपुर. लगभग 20 वर्ष पूर्व मिहान में बुनियादी सुविधाओं का विकास विश्व स्तरीय किया गया था. आज सारी सुविधाएं दम तोड़ रही हैं. वर्षों से उपेक्षा के कारण ही मिहान की सुविधाएं धरातल पर पहुंच गई हैं. कंपनियां सुविधाएं बढ़ाने की मांग कर रही हैं लेकिन एमएडीसी के अधिकारियों की उदासीनता समस्याओं की जटिलताओं को और बढ़ाने का काम कर रही हैं. स्टेक होल्डर मीटिंग में उठने वाले मुद्दों का हल तक नहीं निकल पाने से कंपनियां परेशानी में आ रही हैं. 

    मिहान के वर्तमान हाल को देखकर बूटीबोरी 5 स्टार इंडस्ट्रियल जोन की याद ताजा हो जाती है. बूटीबोरी के इस जोन का हस्र सभी को याद है. कहने को 5 स्टार लेकिन सुविधाओं और उद्योग के नाम पर कुछ भी नहीं होना, सभी को अचंभित ही करता रहा. आज उसी तर्ज पर मिहान भी आगे बढ़ने लगा है. कंपनियां तो आ रही हैं लेकिन सुविधाएं दिन ब दिन खत्म होती जा रही हैं. 

    फ्लाईओवर ही बदहाल

    प्रवेश के लिए फ्लाईओवर का सहारा लेना पड़ता है. वर्धा रोड से चढ़ने के बाद फ्लाईओवर में जगह-जगह बड़े-बड़े गड्ढे बन गए हैं. इसी रास्ते से तमाम अधिकारी जा रहे हैं लेकिन इसकी ओर किसी की नजर नहीं जा रही है. फ्लाईओवर को समय रहते दुरुस्त करना समय की मांग है लेकिन मुंबई में बैठे हुए अधिकारियों तक तमाम बातें पहुंच ही नहीं पाती हैं. 

    सड़क किनारे बदसूरती

    मुख्य सड़क को पूर्व के अधिकारियों ने शानदार रूप दिया और सीमेंट का बनवाया. आज तक यह टिका हुआ है लेकिन इसके बाद सौंदर्यीकरण करने का बीड़ा किसी ने नहीं उठाई. जगह-जगह बड़ी-बड़ी झाड़ियां उग आई हैं लेकिन इसे हटाने के लिए कोई कर्मचारी नहीं है. कंपनियों के सामने की सड़क बेहद सुंदर हो चुकी है. वे अपने दम पर सुंदरता पर चार-चांद लगा रही हैं लेकिन एमएडीसी की ओर से कुछ भी पहल नहीं हो रही है. कई कंपनियां सौंदर्यीकरण में हाथ बंटाने को इच्छुक हैं लेकिन अधिकारी इसे अपने कार्यक्षेत्र में दखल समझ रहे हैं और उन्हें मंजूरी तक नहीं देते. 

    रिटायर्ड का धब्बा हटाओ

    मिहान को पीछे धकेलने में सबसे बड़ा योगदान रिटायर्ड अधिकारियों का है. इनकी अरुचि के कारण ही तमाम समस्याएं विकराल रूप ले रही हैं. नागपुर का बॉस आरंभ से ही रिटायर कर चुके लोगों को बनाया गया. शायद इसका मुख्य कारण यह रहा हो कि मुंबई के बॉस सभी कुछ अपने हाथ में रखना चाहते हों और यहां पर कठपुतली से अपना काम निकालना चाहते हों. यही कारण है कि यहां न तो काम होता है और न ही निर्णय लिए जाते हैं. तमाम फाइलें मुंबई भेजी जाती हैं जो वहां पर धूल फांकती रहती हैं. इस बीच रिटायर व्यक्ति मोटी पगार में अपना समय गुजारता रहता है. इससे उसका नुकसान तो नहीं हो रहा है लेकिन क्षेत्र को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. 

    नहीं हटा पाए तबेले

    आश्चर्य की बात यह कि वर्षों के बाद भी एमएडीसी के अधिकारी तबेलों को नहीं हटा पाएं. जगह-जगह गाय-भैंसों का जमावड़ा एक बड़ा सिरदर्द है. कई सरपंचों ने लिखित में सहयोग करने की बात कही लेकिन एमएडीसी के अधिकारी ही कदम नहीं उठाना चाहते हैं. इन तबेलों के कारण स्थिति तब काफी नाजुक हो जाती है जब विदेश से प्रतिनिधि मिहान सेज को देखने आते हैं. उन्हें हॉल में बैठकर सुविधाएं बताई जाती हैं कुछ और प्रत्यक्ष में देखने को मिलता कुछ और है.  विदेशी दलों ने इस ओर इशारा भी किया है परंतु उनकी बातों की ओर भी ध्यान नहीं दिया गया.