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    • 2008 से जमीन लेकर बैठीं हैं कई कंपनियां
    • 14 वर्षों बाद भी जगह वापस लेने में MADC नाकाम 

    नागपुर. एमएडीसी द्वारा संचालित मिहान का विकास ‘थम’ सा गया है. जमीन लेने के बाद कई कंपनियां आईं परंतु आधी से अधिक का ‘इंतजार’ लंबा खिंच गया है. पिछले 15 वर्षों से जमीन लेकर बैठीं कंपनियां न तो जमीन वापस कर रही हैं और न ही प्रोजेक्ट शुरू. ऐेसे में विकास की बात बेमानी होती जा रही है. अधिकारियों और नेताओं का ‘फोकस’ कम होते ही मिहान की स्वाभाविक गति थम सी जाती है. प्रयास होते ही कुछ कंपनियां आ जाती हैं. ऐेसा होते-होते वर्षों निकल गए हैं. मुंबई में बैठे वरिष्ठ अधिकारी ‘वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग’ से बैठकर अपनी जिम्मेदारी की इतीश्री कर लेते हैं. 

    बूटीबोरी जैसा हश्र

    वास्तव में मिहान का हश्र भी बूटीबोरी के जैसा हो गया है. लोगों ने जमीनें खरीद लीं लेकिन फैक्ट्रियां नहीं लगाईं. आलम यह है कि आज भी बड़े-बड़े भूखंड बेकार पड़े हुए हैं. इससे जहां औद्योगिक विकास रुक गया, वहीं विदर्भ को पिछड़ापन झेलने को मजबूर कर दिया गया है. अब भी नहीं चेते तो मुश्किल बढ़ना तय है.  मिहान में 2007, 2008, 2009 में जिन कंपनियों ने जमीन ली थी, आज तक उनका काम शुरू नहीं हो पाया है. इस सूची में कई बड़ी कंपनियों का नाम है. नाम के अनुसार इन्हें बड़े-बड़े भूखंड भी दिए गए थे. अब इन भूखंडों पर झाड़-झंखाड़ उग आये हैं. 

    L&T, DLF जैसी कंपनियां

    एमएडीसी ने जिन्हें को-डेवलपर्स का दर्जा दे रखा है, वैसी कंपनियां भी उदासीन बनी हुई हैं. एलएंडटी इंफ्रावेंचर डेवलपमेंट प्रोजेक्ट लि. को 29 दिसंबर 2008 में 20.58 हेक्टेयर जमीन का आवंटन किया गया लेकिन कंपनी आज तक कुछ नहीं कर पाई. डीएलएफ लि. के पास सर्वाधिक 56.74 हेक्टेयर जमीन है. कंपनी को मार्च 2008 में जमीन का आवंटन किया गया था लेकिन कंपनी कहां है, पता नहीं. इसी प्रकार बिल्डिंग रिसर्च एंड मैनेजमेंट को 11.27 हेक्टेयर जमीन 2008 में, आसरा रियल्टी वेंचर प्रा.लि. को 10.12 हेक्टेयर 2007 में, ईको वर्ल्ड इंफ्रास्ट्रक्चर प्रा.लि. को 2009 में 11.27 हेक्टेयर, हासा कॉर्पोरेशन को 1.01 हेक्टेयर जमीन मार्च 2020 में दी गई. इन कंपनियों का कोई अता-पता ही नहीं है. 

    25 कंपनियों का LOA रद्द 

    प्राप्त जानकारी के अनुसार मिहान विकास आयुक्त ने 25 कंपनियों का लेटर ऑफ एप्रूवल (एलओए, बीओएल) कैंसल कर दिया है. यह कंपनियां को-डेवलपर्स के अलावा हैं. इन कंपनियों ने भी भूखंड लेकर कार्य शुरू नहीं किया था, इसलिए विकास आयुक्त कार्यालय ने कठोर कदम उठाए हैं. सवाल यह उठता है कि छोटी-छोटी कंपनियों से जमीन, स्थान वापस लेने की पहल तो कर दी गई है लेकिन एमएडीसी बड़ी-बड़ी कंपनियों से भूखंड कब वापस लेगी और कब नये लोगों को न्याय दिया जाएगा? यह देखने वाली बात होगी. 

    अलग अथॉरिटी बनाने की मांग

    मिहान के तेज विकास के लिए उद्यमियों सहित नेताओं ने अलग से अथॉरिटी बनाने की मांग की है. अथॉरिटी का कार्यालय नागपुर में रखने और यहीं से सारे कार्य का संचालन करने तक का सुझाव दिया गया है. इतना ही नहीं, सेज में विकास आयुक्त का कार्यालय भी है. विकास आयुक्त खुद नागपुर में बैठते हैं. इनके अधीन भी संचालन को सौंपा जा सकता है. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने पहल कर बैठक लेने की योजना भी बनाई थी लेकिन वह नहीं हुई और अब तक उसका शुभ मुहूर्त नहीं निकल पाया है. ऐेसे में नेताओं, अधिकारियों को एक मौका मिल गया. बैठक में मिहान के अथॉरिटी बनाने पर विस्तार से चर्चा ही होनी थी. 

    को-डेवलपर्स के पास बड़े-बड़े भूखंड

    कंपनी       आवंटित जमीन आवंटन तिथि

    डीएलएफ लि.            56.74 हेक्टेयर 31 मार्च 2008

    बिल्डिंग रिसर्च एंड

    मैनेजमेंट सर्विस प्रा. लि.            11.27 हेक्टेयर 29 मार्च 2008

    आसरा रियल्टी वेंचर प्रा.लि.     10.12 हेक्टेयर 26 जून 2007

    ईको वर्ल्ड इंफ्रास्ट्रक्चर प्रा. लि.    11.27 हेक्टेयर 05 जनवरी 2009

    हास कॉर्पोरेशन लि.             1.01 हेक्टेयर 9 मार्च 2020

    एलएंडटी इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट 

    प्रोजेक्ट लि.                            20.58 हेक्टेयर 29 दिसंबर 2008