Nagpur High Court
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    नागपुर. राज्य में सत्ता परिवर्तन होते ही नई सरकार की ओर से तत्कालीन सरकार द्वारा मंजूर किए गए काम तथा टेंडर पर सिरे से रोक लगा दी गई. वर्तमान सरकार की इस कार्यप्रणाली को लेकर जहां राजनीतिक पटल पर लगातार संघर्ष जारी है, वहीं न्यायिक लड़ाई भी लड़ी जा रही है. अब सावनेर के विधायक सुनील केदार के बाद अब विधायक विजय वड्डेटीवार ने भी हाई कोर्ट में याचिका दायर कर उचित आदेश जारी करने का अनुरोध अदालत से किया. दोनों याचिकाओं में एक ही तरह की चुनौती होने का मामला उजागर होने के बाद न्यायाधीश अतुल चांदुरकर और न्यायाधीश वृषाली जोशी ने दोनों याचिकाएं एक साथ सुनवाई के लिए रखने के आदेश दिए. याचिकाकर्ता की ओर से अधि. एन.बी. किरताने तथा राज्य सरकार की ओर से अति. सरकारी वकील आनंद फुलझेले ने पैरवी की.

    वर्क ऑर्डर भी हो चुके थे जारी

    विधायकों द्वारा दायर याचिका में बताया गया कि गत सरकार के कार्यकाल में उनके चुनाव क्षेत्र के लिए विभिन्न विकास कार्यों को मंजूरी प्रदान की गई. वित्तीय प्रावधान किए जाने के बाद उनके न केवल टेंडर निकाला गए, बल्कि संबंधित कामों को अंजाम देने वाली कम्पनियों को वर्क ऑर्डर भी जारी किया गया. किंतु जैसे ही राज्य में सत्ता बदली, नई सरकार ने बिना किसी कारण एक सिरे से पुरानी सरकार द्वारा मंजूर सभी कामों पर रोक लगा दी. इस संदर्भ में कई बार सदन में तथा कई बार सदन के बाहर सरकार से मांग की गई. किंतु इस सरकार ने आश्वासन के आगे कुछ नहीं किया. अलबत्ता विधानसभा क्षेत्र के विकास से जुड़े काम अटके हुए हैं. जनहित के इन कामों को रोके जाने से जनता का नुकसान हो रहा है. अत: प्रतिवादियों को आदेश जारी करने का अनुरोध अदालत से किया गया.

    अलग-अलग विभागों से जुड़े हैं विकास कार्य

    केदार की याचिका पर अदालत का मानना था कि याचिकाकर्ता ने राज्य सरकार के 6 अलग-अलग विभागों को प्रतिवादी बनाया है. इन सभी विभागों को स्वतंत्र रूप से आदेश देने का अनुरोध किया गया है. अंतरिम आदेश जारी करने के लिए याचिका क्रमांक 9421/2022 का हवाला दिया जा रहा है. जिसमें 9 नवंबर 2022 को औरंगाबाद बेंच की ओर से आदेश जारी किए गए. इस संदर्भ में आगे बढ़ने से पहले याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि किस विकास कार्यों को लेकर वर्क ऑर्डर जारी किए गए और किस कार्यों को लेकर टेंडर प्रक्रिया तो शुरू की गई, किंतु टेंडर प्रक्रिया रोक दी गई उसका चार्ज तैयार किया जाएगा जिसके लिए अदालत ने याचिकाकर्ता को समय प्रदान कर सुनवाई स्थगित कर दी.