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    नागपुर. राज्य की महानगरपालिकाओं में निकट भविष्य में होने वाले आम चुनावों को लेकर एक ओर जहां राज्य चुनाव आयोग की ओर से 3 सदस्यीय प्रभाग रचना को लेकर प्रक्रिया पूरी की गई. वहीं अब राज्य सरकार की ओर से महाराष्ट्र महानगरपालिका अधिनियम में संशोधन कर प्रभाग रचना के अधिकार सरकार के पास रखने का विधेयक पारित किया. सूत्रों के अनुसार राज्य सरकार के इस विधेयक के चलते अब राज्य चुनाव आयोग और राज्य सरकार के बीच संघर्ष के आसार होने से इनकार नहीं किया जा सकता है.

    हाल ही में राज्य सरकार ने स्थानीय निकायों में ओबीसी आरक्षण सुनिश्चित करने की मांग कर सर्वोच्च न्यायालय में अर्जी दायर की थी किंतु सुको ने इसे ठुकरा दिया था. जिससे जिला परिषद की तर्ज पर ही राज्य चुनाव आयोग की ओर से ओबीसी आरक्षण के बिना ही चुनाव होने की संभावना जताई जा रही है. जबकि राज्य सरकार ओबीसी आरक्षण के बिना चुनाव कराने के पक्ष में नही है. तमाम मुद्दें एक दूसरे के विरोधाभासी होने के कारण आयोग और सरकार के बीच निकट भविष्य में टसल देखने को मिल सकती है.

    राज्यपाल से मंजूरी पर संभ्रम

    जानकारों के अनुसार राज्य सरकार की ओर से विधानसभा में विधेयक पारित किया गया. अब इस विधेयक को विधान परिषद के पटल पर रखा जाएगा. जहां चर्चा के बाद मंजूरी मिलते ही राज्यपाल की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा. माना जा रहा है कि भले ही राज्य सरकार इसे सदन में पारित कर ले लेकिन राज्यपाल से मंजूरी को लेकर संभ्रम की स्थिति बनी हुई है.

    फिलहाल कई मुद्दों को लेकर राज्य सरकार और राज्यपाल के बीच संघर्ष देखा जा रहा है. यहां तक कि लंबे समय से राज्यपाल के पास 12 विधायकों की सूची लंबित है. जिसे लेकर लगातार एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप होते रहे हैं. इसी तरह से अब पुन: एक विधेयक राज्यपाल के पाले में जाएगी. जब तक राज्यपाल से मंजूरी नहीं दी जाती, तब तक चुनाव की प्रक्रिया आगे बढ़ना संभव भी नहीं है. 

    फिर लंबे समय के लिए टल जाएंगे चुनाव

    कानूनी जानकारों के अनुसार चुनावी प्रक्रिया पूरी करने के सम्पूर्ण अधिकार राज्य चुनाव आयोग को है. राज्य चुनाव आयोग स्वतंत्र इकाई है. संवैधानिक कार्यप्रणाली के अनुसार राज्य चुनाव आयोग के अधिकारों का अतिक्रमण नहीं किया जा सकता है. इस तरह से संशोधन कर किसी विधेयक के माध्यम से भी यह करना अनुचित है. यदि इसे न्यायिक चुनौती दी गई तो पूरा मामला न्यायिक लड़ाई में फंस जाएगा. जिसके बाद चुनाव लंबे समय के लिए टलने की संभावना है. जिला परिषद में ओबीसी आरक्षण को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर हुई थी. जिसके बाद जिला परिषद के चुनाव इसी तरह से लंबे समय तक अटके रहे थे.

    2-3 दिनों में होगा स्पष्ट

    प्रभाग आरक्षण को लेकर भले ही उथल-पुथल मची हों लेकिन भाजपा के कुछ वरिष्ठ पदाधिकारी और वरिष्ठ पार्षदों का मानना है कि 1-2 दिनों में ही मनपा चुनाव को लेकर स्थिति स्पष्ट हो जाएगी. 3 सदस्यीय नई प्रभाग रचना को लेकर प्राप्त आपत्ति और सुझावों पर सुनवाई लेने के बाद पूरी रिपोर्ट मनपा की ओर से 2 मार्च को राज्य चुनाव आयोग को सौंपी गई थी. रिपोर्ट आने के बाद आमतौर पर 8 दिनों में राज्य चुनाव आयोग की ओर से अंतिम प्रभाग रचना की घोषणा की जाती है. चूंकि अब तक राज्य सरकार के विधेयक को अंतिम मंजूरी की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है. अत: यदि राज्य चुनाव आयोग की ओर से अंतिम प्रभाग रचना की घोषणा होती है, तो चुनाव प्रक्रिया आगे बढ़ जाएगी.