bjp-congress
File Photo

    Loading

    नागपुर. मनपा चुनावों में ओबीसी आरक्षण के कारण लगातार बढ़ते जा रहे चुनाव में अब अंतिम प्रक्रिया का पड़ाव पार हो चूका है. चुनाव को लेकर सभी तरह के आरक्षण सुनिश्चित होने से प्रभागों में सीटें भी सुनिश्चित हो गई हैं. जिससे अब वास्तविक चुनाव के लिए मनपा का राजनीतिक अखाड़ा तैयार हो चूका है. शुक्रवार को ओबीसी और सर्वसाधारण वर्ग के लिए हुए आरक्षण के बाद कमोबेश प्रत्येक प्रभागों में चुनाव लड़ने के इच्छुक और स्थानीय नेताओं की दावेदारी का मसला अब स्पष्ट होता जा रहा है. यहीं कारण है कि प्रत्येक प्रभाग में अपनी दावेदारी के लिए न केवल भाजपा बल्कि कांग्रेस में भी इच्छुकों के बीच अभी से खींचतान शुरू हो गई है.

    सितंबर में चुनाव की संभावना

    जानकारों के अनुसार सुको की ओर से ओबीसी आरक्षण को हरी झंडी देने के बाद जिस तरह से राज्य चुनाव आयोग द्वारा चुनाव की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा रहा है उससे सितंबर के पहले या दूसरे सप्ताह में चुनाव होने की प्रबल संभावनाएं जताई जा रही है. अगस्त के पहले सप्ताह में आरक्षण का अंतिम राजपत्र घोषित होने के बाद केवल वास्तविक चुनाव की घोषणा बाकी रह जाएगी. हालांकि राज्य में सत्ता परिवर्तन होने के बाद 3 सदस्यीय प्रभाग पद्धति में परिवर्तन होने की संभावनाएं जताई जा रही थी, किंतु प्रभाग रचना बदलने के बजाए ओबीसी आरक्षण भी निर्धारित होने के कारण अब प्रभाग पद्धति बदलने की संभावनाएं धूमिल होती जा रही है. 

    भाजपा में नया नेतृत्व

    जानकारों के अनुसार तीन टर्म से मनपा में भाजपा की सत्ता है. यहां तक कि 4-4 बार चुनाव लड़ने के बाद कई वरिष्ठ पार्षदों को अलग-अलग जिम्मेदारियां सौंपी जाने के कारण अब मनपा में भाजपा का नया नेतृत्व मिलने की संभावनाएं जताई जा रही है. भाजपा की ओर से भविष्य के चुनावों को लेकर कई तरह के सर्वे किए गए. यहां तक कि स्थानीय स्तर पर कार्यकर्ताओं से भी उनकी राय ली गई. जिसमें प्रत्येक कार्यकर्ताओं ने 2 बार चुनाव लड़ने के बाद तीसरी बार अब ऐसे कार्यकर्ता को मौका नहीं देने का सूर लगाया गया. उनके स्थान पर नए कार्यकर्ता को मौका देने की मांग हर स्तर पर हो रही है. यहीं कारण है कि 3 बार चुनाव लड़ चुके पार्षदों की टिकट खतरे में होने की संभावना है. 

    कांग्रेस में टिकट के सिर फुटव्वल

    राजनीति के वर्तमान परिवेश में भले ही कांग्रेस की स्थिति को कमजोर बताया जा रहा हो लेकिन वास्तविकता यह है कि कांग्रेस में टिकट के लिए अभी से कार्यकर्ताओं में सिर फुटव्वल की स्थिति दिखाई दे रही है. कई पूर्व पार्षदों ने भी ताल ठोंककर रखी हुई है. जबकि नए कार्यकर्ताओं ने भी दिग्गजों के प्रभाग में दावेदारी का सूर लगाया हुआ है. मनपा में विपक्ष नेता रहे तानाजी वनवे 25 वर्षों से किसी न किसी प्रभाग का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. इसके बावजूद उनकी ओर से दावेदारी की जा रही है. इसी तरह से कांग्रेस को बाय-बाय कर भाजपा में शामिल हुए सतीश होले पुन: कांग्रेस की राह पर दिखाई दे रहे है. किसी न किसी तरह से कांग्रेस की टिकट पाने की जद्दोजहद हो रही है. उत्तर नागपुर में कांग्रेस के कई वरिष्ठ अभी से तैयारियों में जुट गए हैं. इसी तरह से अंतरद्वंद के चलते भाजपा के गढ़ पूर्व नागपुर में भी इस समय सेंध लगने की संभावना जताई जा रही है.