
नागपुर. अपनी सगी बहन, जीजा, वृद्धा और 2 बच्चों सहित 5 लोगों को मौत के घाट उतारने वाले विवेक गुलाबराव पालटकर को जिला व सत्र न्यायाधीश आर.एस. पावसकर ने शनिवार को दोषी करार दिया. आगामी 11 अप्रैल को न्यायालय उसे सजा सुनाएगा. 10 जून, 2018 की रात पालटकर ने आराधनानगर, दिघोरी निवासी कमलाकर मोतीराम पवनकर (53), उनकी पत्नी अर्चना (45), मां मीराबाई (70), बेटी वेदांती (12) और अपने बेटे कृष्णा उर्फ गणेश विवेक पालटकर (5) की हत्या कर दी थी. कमलाकर, अर्चना, वेदांती और कृष्णा एक ही पलंग पर सो रहे थे जब आधी रात को विवेक ने सब्बल से उनके सिर पर वार कर मौत के घाट उतार दिया था. इस दौरान मीराबाई की नींद खुल गई तो विवेक ने उन्हें भी मार दिया था. विवेक की 7 वर्षीय बेटी वैष्णवी और कमलाकर की 9 वर्षीय बेटी मिताली को उसने बख्श दिया था. इस प्रकरण की जांच इंस्पेक्टर मुकुंदा सालुंके ने की जबकि अभियोजन पक्ष की पैरवी सरकारी वकील अभय जिकार ने की.
पत्नी को भी उतारा था मौत के घाट
विवेक ने वर्ष 2014 में अपनी पत्नी सविता को भी इसी तरह मौत के घाट उतार दिया था. इस प्रकरण में सत्र न्यायालय ने उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. बाद में हाई कोर्ट से वह बरी हो गया था. विवेक के लिए उसके जीजा कमलाकर ने ही कानूनी लड़ाई लड़ी थी. सारा खर्च भी उन्होंने ही किया था. विवेक के बच्चों का पालन-पोषण भी कमलाकर ही कर रहे थे. 2017 में विवेक जेल से बाहर आया और कुछ समय कमलाकर के साथ रहा. घटना से 6 महीने पहले उसने खरबी में गिरीपुंजे का मकान किराये पर लिया था और खुद का नाम जिभकाटे बताया था. उसने अपनी खेती बंटाई पर दे दी थी. कमलाकर ने उससे खेती बेचकर अब तक हुए खर्च के 5 लाख रुपये मांगे. इस वजह से दोनों में विवाद हो गया. 10 जून, 2018 की रात उसने निर्दयता से 5 लोगों को मौत के घाट उतार दिया.
मृत्यु दंड दिलाने की कोशिश करूंगा : सरकारी वकील
विवेक की बेटी वैष्णवी और कमलाकर की बेटी मिताली इस घटना की प्रत्यक्षदर्शी थीं. इन दोनों बच्चियों के अलावा पवनकर परिवार के पड़ोसी दंपति की गवाही इस मामले में महत्वपूर्ण साबित हुई. अभियोजन पक्ष ने सुनवाई में 29 गवाहों के बयान का परीक्षण किया. आरोपी के खिलाफ पुख्ता सबूत होने से अभियोजन पक्ष हत्या का आरोप सिद्ध करने में कामयाब हुआ. अब सरकारी पक्ष को यह साबित करना होगा कि आरोपी को मौत की सजा क्यों दी जानी चाहिए. दुर्लभ से दुर्लभतम मामला होने पर ही आरोपी को मौत की सजा सुनाई जाती है. सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा के लिए मानदंड निर्धारित किए हैं. सरकारी वकील अभय जिकार ने बताया कि आरोपी को मृत्यु दंड दिलाने के लिए पूरा प्रयास किया जाएगा. इसके लिए 11 अप्रैल को सुनवाई रखी गई है. अभियोजन पक्ष का सहयोग अधिवक्ता मोहम्मद अतीक ने किया.
फांसी की सजा मिलनी चाहिए : किशोर पवनकर
कमलाकर के भाई किशोर पवनकर ने कहा कि पुलिस और अभियोजन पक्ष ने अपना काम पूरी ईमानदारी से किया. इस नराधम को फांसी की सजा होनी चाहिए. जो व्यक्ति अपने बेटे, सगी बहन और जीजा को मार सकता है वह कुछ भी कर सकता है. ऐसे राक्षस को किसी तरह की राहत नहीं मिलनी चाहिए. विवेक ने अपनी पत्नी को भी बेरहमी से मारा था. जेल में भी वह 2 लोगों पर जानलेवा हमला कर चुका है. मानसिक रूप से विकृत नराधम बच गया तो भविष्य में और भी लोगों को नुकसान पहुंचा सकता है.