Eknath Nimgade Murder Case

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    नागपुर. आर्किटेक्ट एकनाथ निमगडे हत्या प्रकरण में कई बड़े लोगों के शामिल होने के कारण ठीक से जांच नहीं किए जाने का संदेह जताते हुए इसकी सीबीआई से जांच कराने की मांग उनके पुत्र अनुपम निमगडे ने हाई कोर्ट में याचिका दायर में की थी. याचिका पर सुनवाई के बाद अदालत ने जांच सीबीआई को सौंप दी थी. याचिका पर हाई कोर्ट की ओर से दिए गए आदेशों के अनुसार सीबीआई के जांच अधिकारी की ओर से हर अंतराल में जांच रिपोर्ट सौंपी जा रही है.

    सीबीआई ने हाई कोर्ट को सौंपी रिपोर्ट में बताया कि जांच के दौरान सीसीटीवी फूटेज प्राप्त किए गए. इन सीसीटीवी फूटेज को और अच्छे से उजागर करने तथा बारीकी से अध्ययन करने के लिए वैज्ञानिक परीक्षण के लिए गुजरात के गांधीनगर स्थित डायरेक्टोरेट ऑफ फॉरेंसिक साइंस के डायरेक्टर को पत्र भेजा गया है. इस रिपोर्ट से अहम सुराग हाथ लगने की संभावना है जिसके लिए समय लगने की संभावना है. सुनवाई के बाद न्यायाधीश वीएम देशपांडे और न्यायाधीश अमित बोरकर ने सीबीआई को समय प्रदान कर सुनवाई स्थगित कर दी.

    फॉरेंसिक लैब की रिपोर्ट का होगा सकारात्मक असर

    जांच अधिकारी का मानना था कि फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी की रिपोर्ट से जांच में सकारात्मक असर पड़ेगा. सुनवाई के बाद अदालत ने आदेश में कहा कि निकट भविष्य में हाई कोर्ट में ग्रीष्म अवकाश होगा. अत: जून में मामले पर सुनवाई रखने से फॉरेंसिक रिपोर्ट प्राप्त करने के लिए जांच एजेंसियों को पर्याप्त समय मिल सकेगा. अदालत ने सुनवाई के बाद रिपोर्ट पुन: सील कर हाई कोर्ट रजिस्ट्रार के पास सुरक्षित रखने के आदेश दिए. उल्लेखनीय है कि गत समय भी सीबीआई ने 29 पन्नों की स्टेटस रिपोर्ट अदालत के समक्ष रखी थी. जांच के दौरान सीबीआई को कई अहम सुराग मिलने के कारण जांच के लिए कुछ समय देने का अनुरोध किए जाते ही अदालत ने समय प्रदान किया था. साथ ही जांच रिपोर्ट पेश करने के भी आदेश दिए थे.

    रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में ही प्रेषित हो

    गत सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से बताया गया था कि मामले की तह तक जाने के लिए विभिन्न एजेंसियों से रिपोर्ट मांगी गई है. उनकी रिपोर्ट आने का इंतजार किया जा रहा है. जल्द ही रिपोर्ट प्राप्त होने की संभावना है. सीबीआई द्वारा खुलासा किए जाने के बाद कि रिपोर्ट फॉरेंसिक लैब में अटकी है, अदालत ने लैब को प्रक्रिया तेज करने के आदेश भी दिए. अदालत ने स्पष्ट किया कि भविष्य में भी रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में ही प्रेषित की जाए. साथ ही इसे सेफ कस्टडी में रखने तथा हाई कोर्ट की अनुमति के बिना किसी को भी इसे खोलने की अनुमति नहीं देने के भी सख्त आदेश दिए.