NMC

  • 06 माह तक टल सकते हैं चुनाव

Loading

नागपुर. मनपा के आम चुनावों को लेकर राज्य चुनाव आयोग द्वारा 3 सदस्यीय प्रभाग रचना को लेकर प्रक्रिया पूरी कर ली है लेकिन अब राज्य सरकार ने  सोमवार को प्रभाग रचना का विधेयक विधानसभा में प्रस्तुत किया है. इस विधेयक को सर्वसम्मति के पारित किए जाने के कारण अब राज्य सरकार को प्रभाग रचना घोषित करने के अधिकार प्राप्त हो गए हैं. ऐसे में राज्य चुनाव आयोग की ओर से घोषित प्रभाग रचना प्रक्रिया रद्द हो जाएगी, जबकि अधिकारों के अनुसार राज्य को नई प्रभाग रचना घोषित करनी पड़ेगी.

यही कारण है कि 3 सदस्यीय प्रभाग रचना के कच्चे प्रारूप के अनुसार रणनीति बनाकर आगे बढ़ चुके राजनीतिक दलों, संबंधित पार्षदों और चुनाव लड़ने के इच्छुकों के सामने नई प्रभाग रचना का संकट खड़ा हो गया है. जानकारों के अनुसार चूंकि विधानसभा में विधेयक पारित हो गया है, अत: मनपा चुनाव कम से कम 6 माह तक टलने के आसार हैं. विधानसभा के बाद विधेयक को विधान परिषद में भी पारित करना होगा. अंत में राज्यपाल के हस्ताक्षर के लिए भेजा जाएगा. राज्यपाल के हस्ताक्षर के बाद ही विधेयक को लागू किया जा सकेगा. 

6 माह तक भ्रम की स्थति में इच्छुक प्रत्याशी

सूत्रों के अनुसार राज्य चुनाव आयोग द्वारा 3 सदस्यीय प्रभाग रचना का कच्चा प्रारूप घोषित किया गया था जिस पर नियमों के अनुसार आपत्ति और सुझाव भी मंगाए गए. आपत्ति और सुझाव पर सुनवाई पूरी कर अंतिम प्रभाग रचना की घोषणा के लिए राज्य चुनाव आयोग को प्रेषित भी किया गया. इस तरह की प्रक्रिया में कमोबेश कच्चे प्रारूप के आधार पर ही प्रभाग की सीमाएं निश्चित रहने का अनुमान लगाकर कई इच्छुकों ने प्रभाग का चयन कर चुनाव लड़ने की तैयारियां भी शुरू कर दीं. यहां तक कि राजनीतिक दलों ने भी इन प्रभागों में आने वाले मतदाताओं के आधार पर संभावित उम्मीदवारों को खंगालना शुरू कर दिया. लगभग सभी राजनीतिक दलों ने इसके लिए बैठकें तक ले लीं. जानकारों के अनुसार विशेष रूप से वर्तमान पार्षदों ने उनके संभावित प्रभाग में जो नया हिस्सा जोड़ा गया वहां के मतदाताओं से जुड़ने के लिए रणनीति बनानी  शुरू कर दी. किंतु अब पुन: प्रभाग रचना होने से नये प्रभाग में कौनसे हिस्से रहेंगे और कौनसे हिस्से कट जाएंगे. इसे लेकर इच्छुक प्रत्याशी 6 माह तक भ्रमित रहेंगे. 

बिगड़ सकता है पूरा खेल

राजनीतिक जानकारों के अनुसार कमोबेश प्रत्येक प्रभाग में 10 से 12 बूथ पुराने प्रभाग के काटकर नये जोड़े गए. अधिकांश हिस्सा पुराने प्रभाग का यथावत होने से वर्तमान पार्षदों की ओर से दावेदारी की जा रही थी. कुछ प्रभागों में अधिक हिस्सा कट जाने से दूसरे प्रभाग के पार्षदों द्वारा दावेदारी की जा रही थी. दावेदारी के बीच राजनीतिक दलों की ओर से संकेत मिलने के बाद कुछ पार्षद काम पर लग गए थे. किंतु अब नई प्रभाग रचना के साथ ही ओबीसी आरक्षण के मुद्दे को लेकर भी राज्य सरकार की ओर से कोई निर्णय लिया जा सकता है. यदि इसी बीच राज्य सरकार ने इसका निर्णय लिया गया तो राजनीतिक दल, वर्तमान पार्षद और इच्छुक प्रत्याशियों का बना-बनाया खेल बिगड़ने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. 

चुनाव आयोग की जारी है अलग प्रक्रिया

जानकारों के अनुसार राज्य सरकार ने भले ही विधेयक पारित किया हो लेकिन राज्यपाल की मुहर लगने में समय है. इसके विपरीत राज्य चुनाव आयोग की ओर से चुनाव की प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है. निर्देशों के अनुसार आपत्ति और सुझावों पर सुनवाई के बाद महानगरपालिका ने 2 मार्च को ही रिपोर्ट राज्य चुनाव आयोग को सौंप दी. इसी के आधार पर राज्य चुनाव आयोग को अंतिम प्रभाग रचना की घोषणा करना था किंतु अब बीच में ही यह विधेयक आने से संभ्रम की स्थिति बन गई है. सूत्रों के अनुसार राज्य चुनाव आयोग स्वतंत्र इकाई है. ऐसे में ओबीसी आरक्षण को लेकर सुको के आदेशों के अनुसार आयोग चुनावी प्रक्रिया में आगे बढ़ता है तो चुनाव को लेकर फिर नया पेंच हो सकता है.