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    नागपुर. मनपा के आम चुनाव का वास्तविक समर भले ही कुछ दूर हो लेकिन प्रभाग रचना की घोषणा होते ही आपसी विरोध के संकेत भी मिलने लगे हैं. आलम यह है कि प्रभाग रचना में कई प्रभाग एक दूसरे में जुड़ जाने तथा पहले के प्रभाग में से समर्थक वोटों का गट्ठा अलग हो जाने कारण सहुलियत के अनुसार प्रभागों पर दावेदारी शुरू हो चुकी है. टिकट के लिए शुरू से ही पलड़ा भारी रखने के उद्देश्य से चल रही कवायद के कारण अब पार्षदों में टसल होती दिखाई दे रही है.

    जानकारों के अनुसार वर्तमान में भाजपा के 107 पार्षद हैं. दूसरे राजनीतिक दल कांग्रेस के पास केवल 29 पार्षद होने के कारण नई प्रभाग रचना में प्रत्याशी तय करने के लिए उसे अधिक परेशानी नहीं है, जबकि भाजपा के लिए यह सिरदर्दी साबित हो रही है. 3 सदस्यीय प्रभाग में नई रचना के कारण 4-4 पार्षदों का क्षेत्र आ रहा है. हालांकि प्रत्येक प्रभाग में कितना विकास किया गया यह तो खोज का विषय है. लेकिन विकास के नाम पर प्रत्येक पार्षद सुविधा के अनुसार अपना दावा करते दिखाई दे रहा है.  

    नेताओं को छूट रहा पसीना

    जानकारों के अनुसार उत्तर और पश्चिम नागपुर छोड़कर अन्य विधानसभा क्षेत्र भाजपा के कब्जे में हैं. इनके अंतर्गत प्रभागों में एक दूसरे की सीमाएं उलझने के बावजूद संबंधित पार्षद बूथ और वोटरों का हवाला देकर स्वयं को सुरक्षित करार दे रहा है. इसी तरह की दावेदारी दूसरे पार्षद भी कर रहे हैं. एक ही प्रभाग में कई पार्षदों द्वारा अपना हक जताए जाने से नेताओं को पसीना छूट रहा है. जानकारों के अनुसार विशेष रूप से भाजपा के लिए यह चुनाव आसान नहीं है. जिनकी नेताओं के पास पैठ है उन्हें तो किसी तरह का नुकसान नहीं है किंतु अन्य पार्षदों के पैरों तले जमीन खिसकी हुई है. मनपा चुनाव में 50 प्रतिशत महिला आरक्षण होने के कारण टिकट पक्की कराने के उद्देश्य से कुछ पार्षद परिवारों में पति-पत्नी भी चुनावी तैयारियों में जुट गए हैं. 

    पालकों के बाद अब समन्वयकों की नियुक्ति

    सूत्रों के अनुसार नई प्रभाग रचना के कारण उत्पन्न परेशानी से भाजपा भलीभांति वाकिफ है. यही कारण है कि वह अभी से तैयारियों में जुट गई है. भाजपा ने प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के लिए एक पालक की नियुक्ति की है. भाजपा के पदाधिकारी और वरिष्ठ नेताओं को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई है. यहां तक कि पालकों के सहयोग के लिए अब समन्वयकों की नियुक्ति की जा रही है. जानकारों के अनुसार प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में मंडल और बूथ स्तर तक पदाधिकारी होने के बावजूद भाजपा नेताओं की लगातार चुनाव पर बैठकें हो रही हैं. इसे देखते हुए प्रभाग रचना से हो रहे नुकसान का अंदाजा लगाया जा सकता है. तमाम संकट के बावजूद भाजपा द्वारा जीत का दावा किया जा रहा है. 

    प्रभाग रचना पर 10 आपत्तियां

    सूत्रों के अनुसार कई प्रभागों का सीमांकन नियमों के विपरीत होने का दावा करते हुए अब मनपा में आपत्तियां दर्ज करने का सिलसिला शुरू हो चुका है. शुक्रवार तक मनपा में कुल 10 आपत्तियां दर्ज की गईं जिनमें कई प्रभागों के जोन बदलने तथा कुछ में भारी संख्या में बूथ दूसरे प्रभागों में चले जाने की शिकायत दर्ज की गई. कुछ शिकायतकर्ताओं का मानना है कि कुछ बस्तियां अलग-अलग प्रभागों में दिखाई जा रही हैं. 3 सदस्यीय प्रभाग होने के बावजूद पहले की तुलना में कार्यक्षेत्र काफी लंबा किया गया है.