NMRDA

    Loading

    नागपुर. भीलगांव ग्राम पंचायत द्वारा निर्माण को मंजूरी प्रदान की गई किंतु प्रन्यास के अधिकार क्षेत्र में होने के कारण इसे अवैध करार देते हुए तोड़ने के आदेश एनएमआरडीए ने जारी किए. इसे चुनौती देते हुए याचिका दायर की गई जिस पर सुनवाई के समय हाई कोर्ट ने तोड़ू कार्रवाई पर रोक लगाते हुए एनएमआरडीए को पुन: दायर होने वाली अर्जी पर निर्णय लेने के आदेश दिए थे. किंतु इस आदेश का पालन नहीं किए जाने के कारण अब मनोजकुमार शाहारे ने  अवमानना की याचिका दायर की है.

    इस याचिका पर सुनवाई के बाद न्यायाधीश विनय जोशी और न्यायाधीश वाल्मिकी मेनेझेस ने एनएमआरडीए के सहायक अभियंता को अवमानना नोटिस जारी कर 31 जनवरी तक जवाब दायर करने के आदेश दिए. याचिकाकर्ता की ओर से अधि. एआर इंगोले ने पैरवी की. याचिकाकर्ता के अनुसार 29 नवंबर 2006 को ग्राम पंचायत ने प्रस्ताव पारित कर याचिकाकर्ता के निर्माण को मंजूरी प्रदान की थी.

    15 वर्ष पूर्व पूरा हुआ निर्माण

    याचिकाकर्ता के अनुसार ग्राम पंचायत द्वारा मंजूरी दिए जाने के बाद 2 वर्ष के भीतर ही वर्ष 2008 में निर्माण कार्य पूरा किया गया. 31 अगस्त 2010 को ग्राम पंचायत भीलगांव का परिसर प्रन्यास के अधिकार क्षेत्र में लाया गया. प्रन्यास को प्लानिंग अथॉरिटी घोषित किया गया. 3 जुलाई 2017 को प्रन्यास ने नोटिस जारी कर याचिकाकर्ता से सम्पत्ति और निर्माण कार्य से संबंधित दस्तावेज प्रस्तुत करने के आदेश दिए. साथ ही याचिकाकर्ता से मंजूर प्लान भी मांगा गया. जारी किए गए नोटिस में कहा गया कि यदि दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए गए तो तोड़ू कार्रवाई की जाएगी. 25 दिसंबर 2018 को याचिकाकर्ता ने कुछ दस्तावेज प्रस्तुत किए. 10 जनवरी 2019 को याचिकाकर्ता को बताया गया कि सिटीजन सर्विस सेंटर के माध्यम से अर्जी दायर नहीं की गई. यहां तक कि प्रारूप के अनुसार प्रस्तुत नहीं की गई जिससे अर्जी स्वीकार नहीं की गई है.

    दायर की थी अपील 

    याचिकाकर्ता को प्रक्रिया के अनुसार दस्तावेज देने को कहा गया था. याचिकाकर्ता ने इस संदर्भ में अपील दायर की. इसे 30 सितंबर 2019 को सहायक अभियंता ने खारिज कर दिया. अभियंता का मानना था कि प्रन्यास कानून की धारा 45 के अनुसार आदेश जारी नहीं किया गया. अत: अपील का कोई औचित्य नहीं है. सुनवाई के बाद अदालत ने 3 सप्ताह के भीतर दस्तावेज प्रस्तुत करने के आदेश याचिकाकर्ता को दिए थे. दस्तावेज का अवलोकन करने के बाद जो भी निर्णय लिया गया, उसकी जानकारी याचिकाकर्ता को देने के भी आदेश दिए गए. हालांकि याचिकाकर्ता ने तो दस्तावेज प्रस्तुत किए किंतु एनएमआरडीए ने अब तक कोई भी निर्णय नहीं लिया है.