Nagpur Vidhan Bhavan

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    नागपुर. शीत सत्र के पहले दिन से ही विपक्ष की ओर से विधानसभा अध्यक्ष की कार्यप्रणाली पर उंगली उठाई जा रही है.यहां तक कि कई बार इस तरह की कार्यप्रणाली के लिए विपक्ष द्वारा सभात्याग भी किया गया. आलम यह है कि विस अध्यक्ष राहुल नार्वेकर द्वारा विपक्ष की बात नहीं सुनने से नाराज राकां के गुटनेता जयंत पाटिल द्वारा गुस्से में गलत टिप्पणी तक निकल गई.

    जिसके बाद उन्हें शीत सत्र काल तक निलंबित कर दिया गया. विस अध्यक्ष की कार्यप्रणाली पर नाराजगी जताते हुए अब विपक्ष के 39 विधायकों के हस्ताक्षरों से विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव विधान मंडल सचिव राजेन्द्र भागवत को दिया गया. जिससे अब शुक्रवार को सरकार और विपक्ष के बीच कड़ा संघर्ष होने की संभावना जताई जा रही है.

    विपक्षी सदस्यों को नहीं देते मौका

    विपक्षी सदस्यों का मानना है कि नियमों का हवाला देकर विरोधी दल के सदस्यों को हमेशा बोलने से रोका जाता है. जबकि सत्तापक्ष के विधायकों की ओर से बिना कोई अनुमति लिए बेछूट आरोप लगाए जाते हैं. इस संदर्भ में आपत्ति उठाए जाने के बाद विधानसभा अध्यक्ष सत्तापक्ष के विधायकों का पक्ष लेकर कोई न कोई नियम का हवाला देकर इसे वैध करार देते हुए इस तरह की कार्यप्रणली शीत सत्र के पहले दिन से चली आ रही है. इस कार्यप्रणाली के लिए विप नेता ने भी कई बार सदन में आपत्ति जताई है लेकिन यह सिलसिला नहीं थमा है. जिससे महाविकास आघाड़ी के विधायकों में खासी नाराजगी होने से गुरुवार की रात अविश्वास प्रस्ताव का पत्र सौंपा गया. 

    कर्नाटक पर भी बोलने नहीं दिया

    उल्लेखनीय है कि कर्नाटक सीमा विवाद पर सदन में एकमत से प्रस्ताव पारित किया गया. इस संदर्भ में सदस्यों का मानना था कि सभी की भावनाएं एक है. इस मुद्दे पर पक्ष और विपक्ष एकमत है. किंतु सदस्यों को उनकी भावनाएं रखने का मौका दिया जाना चाहिए था. अध्यक्ष से सदन में बोलने की अनुमति मांगी गई थी, किंतु बोलने का मौका नहीं दिया गया. दिशा सालियान मामले में तो विधानसभा अध्यक्ष ने भाजपा-शिंदे गुट के 11 सदस्यों को बोलने दिया. जबकि महाविकास आघाड़ी के अजीत पवार को बोलने ही नहीं दिया गया.

    जिसके बाद ही सदन में विपक्ष द्वारा जमकर हंगामा किया गया था. गुरुवार को चर्चा के दौरान भी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष एवं विधायक नाना पटोले को बोलने का मौका नहीं देने पर विधायक भास्कर जाधव ने कहा कि इस तरह की कार्यप्रणाली से उनकी छवि मलिन हो रही है. संख्याबल के आधार पर विपक्ष का मुंह तो बंद किया जा सकता है लेकिन विस अध्यक्ष का कार्यकाल दागदार हो जाएगा.