Mobile Tower
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    नागपुर. हाई कोर्ट की ओर से कुछ कम्पनियों के मोबाइल टॉवर को भले ही राहत मिली हुई हो लेकिन अवैध टॉवर के खिलाफ कार्रवाई करने पर किसी तरह की रोक नहीं है. बावजूद इसके अवैध मोबाइल टॉवर को लेकर मनपा प्रशासन गहरी नींद में है. यही कारण है कि मनपा के सत्तापक्ष द्वारा निशाने पर लेने के बाद भी इन टॉवर्स को लेकर प्रशासन की ओर से कोई कदम नहीं उठाए गए. वर्तमान में शहर में 757 टॉवर्स हैं, जबकि 34 नये टावर्स के निर्माण के लिए मनपा के पास आवेदन लंबित पड़े हुए हैं.

    मनपा के पास टॉवर को लेकर कोई ठोस नीति नहीं होने से न तो अवैध टॉवर्स के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई हो रही है और न ही नये टावर्स को मंजूरी दी जा रही है. केवल सम्पत्ति कर नहीं भरने पर ही मनपा द्वारा मोबाइल टॉवर्स के खिलाफ कार्रवाई की जाती है. हाल ही में हुई विशेष सभा में सत्तापक्ष नेता अविनाश ठाकरे की ओर से इस मुद्दे पर सदन का ध्यानाकर्षित भी किया था किंतु प्रशासन टस से मस नहीं हो रहा है. 

    डूब रहा 22 करोड़ का राजस्व

    प्रशासन के अनुसार शहर में वर्तमान में 757 मोबाइल टॉवर्स स्थित हैं. जबकि 34 नये का प्रस्ताव है. अदालत के आदेशों के अनुसार इन टॉवर्स के खिलाफ कार्रवाई लंबित रही है जिसकी वजह से मनपा का 22 करोड़ रु. राजस्व डूब रहा है. अत: अब कड़ी शर्तें निर्धारित की गई हैं. इन शर्तों का पालन करने के बाद ही मोबाइल टॉवर को मंजूरी प्रदान की जाएगी. उल्लेखनीय है कि नगर रचना विभाग की ओर से टॉवर को लेकर कुछ शर्तें तैयार की गई हैं जिनके अनुसार संबंधित कम्पनी को 18 शर्तों को पूरा करने के बाद ही मंजूरी दी जा सकेगी. प्रशासन की ओर से भले ही कड़े नियमों का हवाला दिया जा रहा हो लेकिन पहले से मौजूद अवैध टॉवर को लेकर कोई स्पष्टता उजागर नहीं की जा रही है. 

    नीति नहीं होने से नुकसान

    -प्रशासन का मानना है कि जिस तरह से अनधिकृत निर्माण के खिलाफ कार्रवाई की जाती है, उसी आधार पर अवैध मोबाइल टॉवर के खिलाफ कार्रवाई की जाती है. 

    -विशेषत: टावर के संदर्भ में मनपा के पास कोई ठोस नीति नहीं होने से नुकसान हो रहा है लेकिन भविष्य में निर्धारित समय में ऐसे टॉवर पर कार्रवाई सुनिश्चत होने का दावा किया गया था. 

    -स्थापत्य समिति का मानना था कि केवल एक वर्ष के लिए टॉवर को अनुमति दी जानी चाहिए. यदि टॉवर को मंजूरी दी जाती है तो मनपा को प्रतिवर्ष 22 करोड़ की आय हो सकती है.